एनजीटी समिति की विसंगतियाँ उनके झूठ को उजागर करती हैं | Inconsistencies of the NGT Committee expose their lies
नेतृत्व और नैतिकता | Published: | 1 min read
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यह रिपोर्ट पूरी तरह से त्रुटिपूर्ण, अवैज्ञानिक और पक्षपातपूर्ण है। हमने एनजीटी के समक्ष महत्वपूर्ण सामग्री को रिकॉर्ड पर रखा है जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि समिति पक्षपातपूर्ण है। इस संबंध में हमारा आवेदन अभी तक सुना भी नहीं गया है। हमें इस समिति पर भरोसा नहीं है। इसने अपने पक्षपातपूर्ण आचरण से खुद को अयोग्य घोषित कर दिया है।
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आर्ट ऑफ़ लिविंग का आधिकारिक प्रेस वक्तव्य
13 अप्रैल, 2017
बंगलोर, भारत
Truth will always Triumph;
However before that, lies will have their dance.
Just wait and watch!— Gurudev Sri Sri Ravi Shankar (@SriSri) April 13, 2017
The Art of Living's Official Statement regarding the inconsistencies and falsehoods of the NGT Committee! pic.twitter.com/SYos14Uo2g
— Gurudev Sri Sri Ravi Shankar (@SriSri) April 13, 2017
यह रिपोर्ट पूरी तरह से त्रुटिपूर्ण, अवैज्ञानिक और पक्षपातपूर्ण है। हमने एनजीटी के समक्ष महत्वपूर्ण सामग्री को रिकॉर्ड पर रखा है जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि समिति पक्षपातपूर्ण है। इस संबंध में हमारा आवेदन अभी तक सुना भी नहीं गया है। हमें इस समिति पर भरोसा नहीं है। इसने अपने पक्षपातपूर्ण आचरण से खुद को अयोग्य घोषित कर दिया है।
बेतरतीब ढंग से 120 करोड़ रुपए का नुकसान बताने के बाद अब वे खुद ही 13 करोड़ रुपए के नुकसान की बात कर रहे हैं; जिसे वे स्थायी क्षति कह रहे थे, अब उसे वे 10 साल की क्षति कह रहे हैं। आर्द्रभूमि को नुकसान पहुँचने की बात कहने के बाद वे अब बाढ़ के मैदानों को नुकसान पहुँचने की बात कह रहे हैं। तथ्यों के प्रति उनकी अनियतता/ अनियमितता ही उनके झूठ को उजागर करती है।
विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष, श्री शशि शेखर, जिन्होंने सबसे पहले एनजीटी का ध्यान आकर्षित किया था कि 20 करोड़ रुपये की राशि अवैज्ञानिक हैं, ने इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। श्री बृज गोपाल ने भी रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। क्या इसका कारण यह है कि वे भी इस बात से सहमत हैं कि समिति अवैज्ञानिक और पक्षपातपूर्ण है? समिति अपने अध्यक्ष की सहमति के बिना एक रिपोर्ट कैसे प्रस्तुत कर सकती है? और इस प्रकार की पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट में इस अनिवार्य प्रोटोकॉल के उल्लंघन को स्पष्ट क्यों नहीं किया गया है?
रिपोर्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और यह स्पष्ट रूप से पक्षपातपूर्ण है। उनके दावों को सही ठहराने के लिए कोई सबूत नहीं है।
हम सत्य की जीत के लिए लड़ेंगे।
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