भारतवर्ष ने भले ही स्वतंत्रता ७५ वर्ष पूर्व प्राप्त करी, किंतु उसकी परम्परा में सदा ही विचारों की, अभिव्यक्ति की, और धर्म की स्वतंत्रता निहित रही है।
दुनिया की यह सबसे पुरानी विद्यमान सभ्यता हृदय से युवा और जीवंत है जिसमें वेदों के शाश्वत ज्ञान के साथ साथ, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का सुंदर सह-अस्तित्व है।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि, स्वार्थपूर्ण प्रयोजन रखने वाले कुछ व्यक्तियों और संगठनों के अधिकारपूर्ण समावेश के कारण, जल्लीकट्टू के लिये “मरीना स्प्रिंग्स” जैसे एक स्वतःस्फूर्ण एवं न्यायोचित जन आंदोलन का अंत हो गया। चेन्नई में जो कुछ भी हुआ, उससे हमारी ऑंखें अवश्य खुल जानी चाहिये और हमें जन भावनाओं का सृजनात्मक रूप से प्रबंधन करने के लिये सबक लेना चाहिये।
हम अपनी माँ के गर्भ में एकांत में नौ महीने बिताते हैं। हमारे जन्म दिन से ही हम समाज के हो जाते है। ३ वर्ष के होने तक, हमारे अपने व्यक्तित्व की पहचान में हम घिरने लगते हैं और हमारा निजी व्यक्तिव बनने लगता है।