योग: अनंत से एकत्व | Yoga: Bending it to Infinity!
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अब जबकि विश्व चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है, तो पुनः वह समय आ गया जब मानव के अन्तर्विकास की इस प्राचीन कला का महत्व और बढ़ने वाला है। पिछले चार वर्षों से मिल रहे वैश्विक संरक्षण के लिए सभी को धन्यवाद, योग की स्वीकृति और लोकप्रियता ने बहुत से अवरोधों को दूर किया है। अनुप्रयोगों, अपेक्षाओं और धारणाओं की विस्तृत श्रृंखला से योग के बहु-आयामी प्रयोग एवं साथ ही आज के आधुनिक युग की बीमारियों के सर्वोत्तम उपचार देखने को मिलते हैं।
योग के विषय में सामान्यतः एक गलत धारणा है कि यह भी एक प्रकार का शारीरिक व्यायाम ही है। संसार भर में अनायास ही लोग मुझसे अक्सर यही प्रश्न पूछ बैठते हैं। आसन या शारीरिक मुद्राएं लोगों को योग में प्रवेश करने के लिए सहायक होते हैं। योग का विज्ञान बहुत विस्तृत और गहन है। योग की मुख्य शिक्षा मन को समभाव बनाए रखना है। अपनी संपूर्ण चेतना के साथ कार्य करना, अपने कार्यों के प्रति पूर्ण जागरुकता रखना आपको योगी बनाता है। अस्तित्वगत पदार्थों को व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध तरीके से समझना ही विज्ञान है। इसी प्रकार से योग भी एक विज्ञान है, जो विषय के लिए एक व्यवस्थित समझ प्रदान करता है। ‘यह क्या है’ जानना विज्ञान है। ‘मैं कौन हूं’ यह जानना आध्यात्मिकता है।
परम सत्य की खोज करने वालों के लिए, योग एक ऐसा मार्ग है, जो साधक को मानव क्षमता की संपूर्णता प्राप्त करने की अनुभूति प्रदान करता है….
योग का अर्थ जीवन में लयात्मकता लाना है। यह अंतर्दृष्टि के अध्ययन और सामंजस्य बनाने की विधा है। यह स्वस्थ जीवन-कौशल किसी के जीवन और परिवेश की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है। यह आंतरिक शक्ति और बाह्य सामंजस्य में सुधार लाता है। योग किसी के व्यक्तित्व में पूर्ण संतुलन ला सकता है | यह संपूर्ण जीवन कौशल व्यक्ति के जीवन और उसके आस-पास के माहौल का उन्नयन कर सकता है। योग लोगों के व्यक्तित्व में पूर्ण संतुलन लाता है; यह जीवन की जटिल से जटिल समस्याओं का समाधान करता है। यह उन बहुत सी समस्याओं का समाधान है जिसकी तलाश आज के व्यवहार विज्ञान में की जा रही है।
परम सत्य की खोज करने वालों के लिए, योग एक ऐसा मार्ग है, जो साधक को मानव क्षमता की संपूर्णता प्राप्त करने की अनुभूति प्रदान करता है, यह एक ऐसा रास्ता है जो मनुष्य को अनंत के साथ एकाकार होने का उच्चतम ध्येय प्राप्त करने में सहयोग करता है। महर्षि पतंजलि का एक बहुत सुन्दर सूत्र है जिसमें कहा गया है कि “प्रयत्न-शैथिल्य-अनंत-समाप्तिभ्याम”। योग के द्वारा अप्रयत्न होने की कला सीखने से व्यक्ति को अनंत के साथ पूरी तरह से एकाकार होने का अनुभव मिलता है|
योग सूत्र विस्तार रूप में नहीं लिखे गए हैं, इन सूत्रों में योग का संपूर्ण दर्शन बहुत ही संक्षिप्त रूप में समाहित किया गया है, इन सूत्रों को किसी विशेषज्ञ गुरु के निर्देशन से ही समझा जा सकता है। जब कोई व्यक्ति अभ्यास के द्वारा आत्मा की चेतनता की गहराइयों में उतरता है तो ये सूत्र उसके लिए दिशानिर्देशक और मील के पत्थर के समान कार्य करते हैं। तथापि अपने स्थूल रूप में भी योग मानव जीवन को अकल्पनीय रूप से परिवर्तित करने की क्षमता रखता है। यहां तक कि यदि लोग आसनों को केवल शारीरिक व्यायाम के रूप में करना शुरू करते हैं तब भी यह एक उत्साहवर्धक लक्षण है । महर्षि पतंजलि ने योग के आठ अंग बताए हैं। बहुत से लोग प्रायः समझते हैं की ये अष्टांग, योग के क्रमबद्ध आठ चरण हैं। तथापि ये अंग क्रमिक नहीं हैं, बल्कि ये मानव शरीर के समान एक संपूर्ण पद्धति के आठ भाग हैं। संपूर्ण शरीर एक साथ विकसित होता है। शरीर के सारे अंग एक साथ ही विकसित होते हैं, परंतु वे सब अपनी अपनी गति से बढ़ते हैं। महर्षि पतंजलि यह भी कहते हैं कि, योग का उद्देश्य कष्टों के आने से पूर्व ही उनका निराकरण करना है। चाहे वह लोभ, क्रोध, घृणा, ईर्ष्या या हताशा कोई भी नकारात्मक भावना हो,उसे योग के माध्यम से समाप्त अथवा परिवर्तित किया जा सकता है। जब हम प्रसन्न होते हैं तो,अपने भीतर कुछ है जिसके विस्तार का हम अनुभव करते हैं। जब हम असफ़ल होते हैं अथवा जब कोई हमारा अपमान करता है, तो हमें भीतर कुछ संकुचित होने का अनुभव होता है। योग हमारे भीतर इस ‘कुछ’ को खोजने में हमारी सहायता करता है, जो हमारे खुश होने पर विस्तृत तथा दुखी होने पर संकुचन का अनुभव करता है।
क्या योग का हमारी अन्य प्रचलित पद्धतियों से कोई टकराव है? यदि मैं किसी विशेष धर्म अथवा दर्शन में विश्वास रखता हूँ अथवा यदि मैं किसी विशेष राजनैतिक विचारधारा का अनुसरण करता हूँ, तो क्या यह योग के विपरीत है? तो मैं कहूँगा कि “बिल्कुल नहीं”। योग तो हमेशा विविधता में एकता को ही प्रोत्साहित करता है। ‘योग’ शब्द का ही अर्थ ही है ‘एक सूत्र में बाँधना’!
आज विश्व भर में लगभग 200 करोड़ लोग योगाभ्यास करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की अपार सफ़लता के साथ विश्व की शेष आबादी भी योग के सकारात्मक प्रभावों को महसूस करने के लिए प्रोत्साहित होगी। लोग किसी भी कारण से योग करें पर यह एक सकारात्मक लक्षण है। इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि लोग कहाँ से शुरु कर रहे हैं। चाहे वे शारीरिक लाभ के लिए योग करें, मानसिक लाभ के लिए योग करें, कठिन योग करें या साधारण योग करें, एक उद्देश्य के लिए किया जाने वाला योगाभ्यास अन्य बहुत से उद्देश्यों को भी पूरा करता है।
मुझे विश्वास है कि योग द्वारा करुणा और आनंद से परिपूर्ण विश्व के निर्माण का स्वप्न साकार हो सकता है । जिन लोगों ने अभी तक योग को नहीं अपनाया है, मैं उन सभी को आह्वान करता हूँ कि वे अपने जीवन में स्वास्थ्य, आनंद व समृद्धि के लिए योग अपनाएँ।
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