यमुना व विश्व सांस्कृतिक महोत्सव | Yamuna and the World Culture Festival

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आर्ट ऑफ़ लिविंग वह संगठन है, जो की नदियों के कायाकल्प और सफाई के मामले में सबसे आगे रहा है। पिछले कुछ वर्षों से हमारे स्वयंसेवक भारत भर में १६ नदियों को पुनर्जीवित करने के कार्य में जुटे हुए हैं। राष्ट्रमंडल खेलों से पहले ‘मेरी दिल्ली मेरी यमुना’ अभियान के अन्तर्गत  ५००० से अधिक स्वयंसेवकों ने ६ सप्ताह के लिए प्रतिदिन सेवाकार्य किया व यमुना से ५१२ टन कचरे को हटाया। अब यह कहना कि हमने वहाँ विश्व सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन कर  यमुना तट को क्षति पहुंचाई है, हास्यास्पद है। आर्ट ऑफ लिविंग को आधिकारिक तौर पर यमुना के तट पर विश्व सांस्कृतिक महोत्सव के आयोजन  के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा अनुमति दी गई थी। यदि यह अनुमति न दी गई होती तो, यह कार्यक्रम कहीं और आयोजित किया गया होता।

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पिछले कई वर्षों से यमुना के तट को निर्माण मलबे के अवैध डंपिंग ग्राउंड के रूप में प्रयोग  किया गया है। नीचे दिए गए चित्रों में पूरे क्षेत्र में भारी मात्रा में मलबा बिखरा हुआ दिख रहा है। समारोह की तैयारी हेतु आर्ट ऑफ़ लिविंग ने पूरे क्षेत्र से मलबा हटाकर उसे साफ किया, कुछ जंगली घास आदि भी हटाई गयी, किन्तु एक भी वृक्ष नहीं काटा गया ! मंच और सभी अन्य संरचनाऐ अस्थायी थी, जोकि समारोह के ख़त्म हो जाने के बाद हटा दी जानी थी, ताकि मैदान को उसके मूल स्वरुप में मलबा रहित करके लौटा दिया जाये। यमुना का  तट  समतल ही था, जोकि इस तथ्य से प्रमाणित होता है की वहां खेती की जा रही थी। पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति लेकर ही इस मैदान को लोगों के उचित रूप से बैठने व चलने योग्य  समतल किया गया।

सत्रह (१७) नालों द्वारा की जा रही विषाक्त अपशिष्ट डंपिंग और भारी दुर्गन्ध के चलते ,यमुना नदी के किनारे किसी के लिए ३ मिनट खड़ा रहना भी एक चुनौती था, तीन दिन के सांस्कृतिक महोत्सव की तो कल्पना ही असंभव थी। आर्ट ऑफ लिविंग संस्था, इस अवसर के द्वारा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नदियों के संरक्षण व यमुना की स्वच्छता के प्रति जागृति लाना चाहती थी, जिसमें देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के अलावा १५५ देशों के सम्मानित प्रतिनिधि उपस्थित रहने वाले थे। कार्यक्रम से महीनों पहले लगभग एक लाख से अधिक परिवारों ने यमुना नदी की विषाक्तता और दुर्गन्ध को दूर करने के लिए एंजाइमों के निर्माण की तैयारी आरम्भ कर दी थी। रसोई से निकले फल और सब्जी के छिलके (कचरे) से निर्मित इस प्राकृतिक एंजाइम को निर्माण करने के लिए तीन महीने का समय लगता है। यह पूरी तरह प्राकृतिक है और इसकी सफाई कार्रवाई पूर्ण जैविक है।

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यमुना में एंजाइम विसर्जन के दो सप्ताह के भीतर ही पानी में प्रदूषण की मात्रा में कमी स्पष्ट दिखने लगी। विषाक्तता पर्याप्त मात्रा में कम हुई व स्थानीय लोगों ने भी दुर्गन्ध में बहुत कमी आने की जानकारी दी। यहाँ तक की, जो पक्षी व भैंसें पानी के पास भी नहीं फटकते थे, अब पानी में प्रवेश कर रहे हैं।

आर्ट ऑफ़ लिविंग ने इस दुर्गम और निर्जन क्षेत्र को, इतने बड़े कार्यक्रम के आयोजन हेतु, एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया व उसे एक स्वच्छ, हरित व उत्तम क्षेत्र के रूप में बदल दिया। यहाँ तक कि भैसों ने भी इस परिवर्तन को पहचान लिया है।

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यमुना पर एंजाइम का प्रभाव

  • दिल्ली में हमारे १,००,००० से अधिक स्वयंसेवक परिवारों ने यमुना को साफ करने के लिए एंजाइम तैयार किया है। यह पूरी तरह प्राकृतिक है और रसोई में प्रयोग किये फल और सब्जी के छिलके के कचरे से तैयार किया जाता है। इसे उपयोग हेतु तैयार करने के लिए तीन महीने लगते हैं।
  • कुछ सप्ताह पूर्व  यमुना के आस पास के क्षेत्र में असहनीय दुर्गन्ध थी। बारापुला नाले में एंजाइम के उपयोग के कुछ दिनों के बाद ही स्थानीय लोगों ने बताया कि वे अब अच्छी तरह से सो पा रहे हैं, क्योंकि दुर्गन्ध काफी कम हो गयी है।
  • उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने यमुना में कभी भी मवेशियों को जाते हुए नहीं देखा, लेकिन पिछले कुछ दिनों से, वे पानी में भैसों और पक्षियों को देख कर वे आश्चर्य चकित हैं। इससे पता चलता है कि एंजाइम के कारण विषाक्तता काफी हद तक कम हो गयी है।
  • हम ने भी एंजाइम उपचार के पहले और कुछ ही दिनों के बाद के यमुना के पानी के नमूने लिए और पाया की पानी की गुणवत्ता में एक स्पष्ट अंतर है।

अन्य क्षेत्रों में, विशेष रूप से कृषि में इस एंजाइम का बहुमूल्य उपयोग

  • खेती पद्धति में किसी अन्य परिवर्तन के बिना , मात्र एंजाइम छिडकने भर से  फसल की उपज में न्यूनतम १०% की वृद्धि हुई।
  • एंजाइम उपयोग करने के बाद अनाज उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार हुआ। अनाज निरोगी व एक समान थे। फसलों को भी हरा भरा व अधिक विकसित पाया गया । १० दिनों के भीतर सूखी गेहूं के पौधे पीले रंग से बदल कर हरे रंग के हो गए।
  • धान की उपज की गुणवत्ता में वृद्धि से उच्च बिक्री मूल्य मिला।
  • लैब विश्लेषण से पता चला है कि सामान्य गेहूं की फसल की तुलना में एंजाइम के छिड़काव से गेहूं की फसल में नमी, प्रोटीन, स्टार्च और ग्लूटोन में अच्छी वृद्धि होती है।
  • एंजाइमों के उपयोग से मवेशियों के चारे की एक ही फसल से चार दौर की पैदावार हुई जबकि प्रायः एक फसल से एक दौर की पैदावार ही मिलती है।
  • आलू की उपज प्रायः सब आकारों जैसे छोटे, मध्यम और बड़े में मिलती है, लेकिन एंजाइम छिड़काव के बाद, छोटे आकार के आलू की उपज गायब हो गयी और सभी आलू बड़े और अधिकतर समान आकार के थे। हरा आलू, जो की पकता नहीं है, उपज से पूरी तरह से गायब हो गया। प्रति एकड़ १० क्विंटल का अतिरिक्त उत्पादन पाया गया।

एंजाइम से संबंधित अन्य अवलोकन

  • मलेशिया में सिर्फ चार दिनों में एक प्रदूषित जलाशय के पानी की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार।
  • मात्र एंजाइम से भरे एक जार को ,विकिरण उत्सर्जन कर रहे उपकरण के पास रखने से आसपास के क्षेत्र में विकिरण की मात्रा में एक चौथाई से अधिक की कमी।
  • एंजाइम को बर्तन धोने में उपयोग करने के बाद कुछ ही दिनों में ही, यह पाया गया की बर्तन धोने वाले के हाथों में पहले से उत्पन्न घाव स्वस्थ, ठीक हो रहे है।
  • एंजाइम के उपयोग से बंजर जमीन के टुकड़े का उपजाऊ जमीन में परिवर्तन।
  • एंजाइम के उपयोग से जलाशय की पानी प्रतिधारण में सुधार और आसपास के पर्यावरण का पुनर्जीवन।

आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा पर्यावरण क्षेत्र में अन्य सेवा पहल

२०१० में एक बड़े  अभियान ‘मेरी दिल्ली-मेरी यमुना ‘ के अंतर्गत  हमारे स्वयंसेवकों ने दिल्ली में जागरूकता फ़ैलाने के साथ साथ यमुना नदी से लगभग ५१२ टन का कचरा बाहर निकाला। कई वर्षों से हमारे स्वयंसेवक देश भर में सूखी १६ नदियों को पुनर्जीवित करने के काम पर जुटें हैं।

महाराष्ट्र

  • लातूर- घरनी , तवार्जा, रेना, जना, मुद्गल
  • उस्मानाबाद – टेरना, राजेगावी , बेनितुरा
  • जालना – नारोला
  • नागपुर – वेना रग
  • जलगांव – वाघुर
  • सांगली ,सतारा- मान

कर्नाटक

  • बेंगलुरु – कुमुदावती
  • चिकमंगलूर – वेदवती
  • कोलार – पलार

तमिलनाडु

  • वेल्लोर – नागनदी

२०१४ में, कर्नाटक उच्च न्यायालय की लोक अदालत, ने आर्ट ऑफ़ लिविंग के नदियों के पुनर्जीवन से सम्बंधित उत्तम कार्य को मान्यता देते हुए राज्य की सभी जिला प्रशासन इकाईयों को जल निकायों को पुनर्जीवित करने वाली परियोजना को दोहराने के निर्देश दिए।

आर्ट ऑफ़ लिविंग के स्वयंसेवकों ने केरल की पंपा नदी में जमा ६०० टन कचरे को हटाया जो कि तीर्थयात्रियों ने पंपा में डुबकी लगाने के बाद छोड़ दिया था। साथ ही स्वयंसेवकों ने तीर्थयात्रियों से प्रत्यक्ष बातचीत कर आगे से नदी को स्वच्छ रखने का भी आग्रह किया।

हमने संयुक्त राष्ट्र संघ के ‘Stand Up and Take Action’ अभियान में पहल करते हुए दुनिया भर में लाखों पेड़ भी लगाये हैं।

यह दुनिया भर में क्षेत्रीय स्तर पर की जा रही पर्यावरण सेवा पहल से अतिरिक्त सेवायें हैं।

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