सामाजिक परिवर्तन के लिए सोशल मीडिया | Social Media for Social Transformation

जनवरी 21, 2013 | | 1 min read

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मीडिया सदैव समाज का एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। मीडिया न केवल घटनायों की खबर ही देता है, बल्कि जनता की राय का निर्माण भी करता है। यह बात मीडिया को एक शक्तिशाली सत्ता देती है और जहाँ भी शक्ति होती है वहाँ सत्ता का दुरुपयोग होने की भी संभावना है। कुछ देशों में, जहाँ शक्तिशाली मीडिया समूह हैं, कहा जाता है कि उन देशों में घटनायों और लोगों को निश्चित तरीके से चित्रित करके चुनाव परिणामों को प्रभावित किया जाता है। भारत में भी, कुछ समय पूर्व संचार जगत के प्रमुख लोगों और नेताओं के बीच संबंध प्रकाश में आए।

सोशल मीडिया (एस एम) के उद्भव से मीडिया का दायरा बढ़ गया है। सोशल मीडिया (SM) के आ जाने से लोगों की आँखें व कान सब जगह पहुंच गये हैं। वे कुछ टेलीविजन (टीवी) चैनलों के कैमरा कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं हैं। एस एम एक ऐसा मंच है जो जनता की राय को आसानी से बिना छेड़छाड़ कर सीधा जनता को दिखाता है। यह समाज की नब्ज़ को दिखाता है। यहाँ तक कि पारंपरिक मीडिया भी एस एम रुझानों पर लगातार नज़र रखते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा कि बहुत सी महत्वपूर्ण खबरें एस एम से सामने आई। यह खबरें सामाजिक रूप से प्रासंगिक होने के साथ साथ अतिमहत्वपूर्ण भी थी, जिन पर सामाजिक मीडिया ने प्रकाश डाला , एस एम ने सरकार व जनता के बीच दूरी होने को भी साफ़तौर पर दर्शाया। जनता अब अधिक जागरूक हो गयी है और जानती है कि नेता कैसे क़ानूनों और नीतियों को, जो कि उनकी भलाई के लिए बनाए गये हैं, उनसे छेड़छाड़ करते हैं, इसके लिए जनता आपस में मुद्दों की चर्चा करती है। अब वह दिन चले गये जब सरकार बंद दरवाज़ों के पीछे क़ानून पास करती थी और देश की जनता को इनका महीनों बाद पता चलता था। इसके लिए एस एम को धन्यवाद देना होगा कि राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा और उनको पारित करने की घोषणा व्यापक रूप से और तत्काल हो जाती है।

कुछ राजनेता अपने मतदान बैंक को सुरक्षित रखने के लिए व अपने स्वार्थ व हित के लिए समुदायों को विभाजित रखते हैं। परंतु अब एस एम के कारण यह सीमायें समाप्त हो गई हैं और जनता अधिक जागरूक और बेहतर सूचित हो गई है, अब जनता को अंधेरे में रखना आसान नहीं है। अब किसी को भी भाषण व बयान देने से पहले अधिक जागरूक व सतर्क होने की ज़रूरत है। लोग किसी भी नौटंकी के पीछे एक गुप्त उद्देश्य और संकीर्ण मानसिकता के संकेतों का पता लगा लेते हैं और इसकी तीव्र आलोचना करते हैं।

सभी शक्तिशाली उपकरणों की तरह, एस एम को भी अत्यंत सावधानी और ज़िम्मेदारी से प्रयोग करना होगा, जिससे समाज को नुकसान न पहुचें। २०११ के लंदन दंगों में, आगज़नी करने वालों ने अपने हमलों और रणनीतियों को निष्पादित करने के लिए एस एम का भरपूर प्रयोग किया। भारत में भी, एस एम ने बैंगलोर और हैदराबाद में रहने वाले उत्तर पूर्वी राज्यों से आए लोगों के बीच बड़े पैमाने पर आतंक का प्रसार किया और उनको पलायन पर मज़बूर किया।

फिर भी लोगों को एक साथ जोड़ने की अपनी क्षमता के साथ साथ एस एम की सामाजिक बदलाव के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में अपार संभावनाएं हैं। हमनें हाल ही में कई संगठित विरोधों को सही रूप से व प्रभावशाली ढंग से एस एम द्वारा सफलतापूर्वक क्रियान्वित होते हुए देखा है, जिसका समाज पर सही प्रभाव पड़ा है। सामाजिक मीडिया का अन्य उपयोग इस विशाल विविधतापूर्ण मानव संसाधन शक्ति का प्रभावी ढंग से उपयोग करना भी है, जो सही मायनों में भारत में अब भी प्रयोग नही की गई है। उदाहरण के लिए, बेहतर भारत कार्यक्रम के एक स्वयंसेवी ने अपने इलाक़े में चिकित्सा शिविर लगाने की घोषणा की और उस तारीख पर और लोगों ने भी उस कार्यक्रम में भाग लिया। इसी प्रकार, किसी ने पेड़ लगाने या वृक्षारोपण की घोषणा की और किसी ने सफाई अभियान की, और बहुत से लोगों ने उस प्रयास की सराहना करते हुए, इसमें भाग लिया अपना समय दिया व संसाधनों का प्रयोग करके इन अभियानों को सफल बनाया।

हम स्पष्ट रूप से परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं। भारत युवाओं का देश है और परिवर्तन के लिए इन की एक बड़ी भूमिका है। एस एम एक माध्यम है सबको जोड़ने का और इनको आवाज़ देने का। यह आवाज़ जोरों से ऊँची हो रही है। यह एक स्वागत योग्य संकेत है।

[विभिन्न कार्यकर्ताओं, अभिनेताओं, फिल्म निर्माता, क्रिकेटरों और अन्य प्रमुख हस्तियों व आम जनता के प्रश्नों के श्री श्री द्वारा दिए गए उत्तरों को देखें , ” हम एक हिंसा मुक्त, तनाव मुक्त समाज बनाने के लिए क्या कर सकते हैं ?” सभी प्रश्नों के उत्तरों के लिए व श्री श्री को जानने के लिए श्री श्री गूगल + पेज पर आयें । जनवरी 26 , भारतीय समयनुसार सायः 8:30 बजे। tiny.cc/srisrihangout]

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