समान, फिर भी भिन्न | Same Yet Different
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प्रकृति में हर क्षण अनंत सहजता और रचनात्मकता प्रकट होती रहती है। हर सुबह सूर्य उदय होता है पर प्रतिदिन सूर्योदय कुछ अलग प्रकार से सुंदर होता है। यदि हम जीवन के अनुभवों को देखें तो हर रोज सब कुछ एक जैसा होते हुए भी भिन्न होता है, यह एक सच्चाई है। एक और वर्ष समाप्त होने वाला है तथा एक और नया वर्ष आरंभ होने वाला है।
हालांकि परिवर्तन ब्रह्मांड का नियम है, लेकिन कुछ परिवर्तन मानव मानस पर स्थायी प्रभाव छोड़ जाते हैं। चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक, यह प्रभाव हमारे जीवन को चलाने वाले बन जाते हैं। इन से मुक्त होना, फिर तत्क्षण से कार्य करना ही सही जागृति है। यह जागृति के क्षण किसी के भी जीवन को अनछुआ नहीं रहने देते, हालांकि किसी किसी के लिए यह क्षण जल्दी जल्दी आते हैं और किसी के लिए कभी–कभी।
पिछली घटनाओं पर एक नजर डालने से दो लाभ होते हैं– पहला यह आपकी समझ और ज्ञान को मजबूत करता है और दूसरा अवांछित लक्षण छूट जाते हैं जो कि आपके सोचने और व्यवहार करने के तरीके को धीरे–धीरे प्रभावित करते रहते हैं। डर तथा चिंता की घटनाएं, जिन्होंने पूरी दुनिया को पिछले कुछ महीनों में आतंकवाद की जकड़ में कस लिया था,पीछे देखने पर दृष्टिगोचर होती हैं। एशिया, अफ्रीका, यूरोप और यहां तक कि एक हद तक अमेरिका भी इसके कारण पीड़ित रहा। ऐसी परिस्थितियों में, यह अनिवार्य है कि हम अपनी स्मृतियों को उसके रंग में न रंगे, जो कि हमें चिंतायों तथा पूर्वाग्रह के नीचे पथ पर ले जाती हैं।
अक्सर जब समाज में चुनौतियां और संकट उभरते हैं, तब हमारी आदत होती है कि हम अपने को अपने तक सीमित कर कहते हैं कि “यह हमारी समस्या नहीं है, कोई और आकर इसको सुलझाएगा”। आजकल के वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में हमारे पास पूरे ब्रह्मांड की जिम्मेदारी लेने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। मध्य कालीन युग में जब दुनिया के किसी हिस्से में कोई समस्या उत्पन्न होती थी तो दुनिया के दूसरे हिस्से में किसी को कुछ पता भी नहीं चलता था। आज के तकनीकी संपर्क के समय में सुविधा क्षेत्र तथा संघर्ष क्षेत्र में कोई ज्यादा दूरी नहीं है।
दुनिया का हमारा भाग दूसरे भाग के विकास से अछूता नहीं है। पिछले वर्ष देखने में आया था कि असहिष्णुता के मुद्दे पर बड़ी–बड़ी बातें बनाई गई थी। मैं कहना चाहता हूं कि भारत बहुत अधिक संसंतुष्ट है और उसको इस असहिष्णुता की आवश्यकता है; परंतु असमानता, अन्याय और भ्रष्टाचार के प्रति। सहिष्णुता और असहिष्णुता दोनों को ही गलत स्थान पर रखना समान रूप से गलत है और सहिष्णुता को आत्मसंतुष्टता के लिए और असहिष्णुता को आक्रमकता के लिए प्रयोग करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
किसी भी मुद्दे या विवाद को कहीं आसानी से लिया या सुलझाया जा सकता है, यदि हम पहले अपने हाथ आगे बढ़ाने के लिए तैयार हो। इस वर्ष के आरंभ में हम कोलंबिया के बहुत बड़े विद्रोही समूह के पास पहुंच सके, जिसका परिणाम हुआ कि ५० सालों से सरकार के साथ चले आ रहे पुराने झगड़े की समाप्ति और युद्ध विराम की घोषणा। यह युग है अभूतपूर्व परस्पर निर्भरता का। हमें आवश्यकता है, अपने अकेलेपन के आवरण से बाहर निकलने की, और किसी व्यापक का हिस्सा बनने की, और अधिक सुंदर बनने की, व्यक्तिगत और वैश्विक दोनों रूपों में। प्रेम और गर्माहट जो सबके भीतर निहित है उसको सही वातावरण चाहिए बाहर आने के लिए। उत्साह से एक दूसरे से मिलना ही एक उत्सव के वातावरण का निर्माण कर देता है।
जीवन सीखने और भूलने के मध्य,संलग्नऔर असंलग्नता के बीच बहुत सूक्ष्म संतुलन है। इस नाजुक संतुलन को ढूंढ कर जीवंत व ताजा बनाये रखना ही आर्ट ऑफ लिविंग है। जब आप जीवन में बड़े दृष्टिकोण से आगे बढ़ते हो, तब आप का प्रकृति के साथ संबंध पुनः स्थापित हो जाता है। चाहे परिस्थितियां वही हों पर आप हमेशा ताजे और अलग होते हो। तुम प्रकृति की सहजता को खुलते हुए, दूर से देखने वाले ना होकर, इस की अभिव्यक्ति बन जाते हो।
प्रसन्नता और उत्साह भरे नव वर्ष की आप सबको बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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