शांति : सर्वोच्च उपचार | Peace: The Greatest Healer
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भारतीय लोकाचार में शांति के तीन स्तर माने गए हैं। पहली शांति है आंतरिक – मन की। दूसरी शांति है हमारे निकटस्थ वातावरण, हमारे परिवार, मित्रों और समुदाय में। तीसरी शांति है दुनिया में, राष्ट्रों के बीच।
आंतरिक शांति समुदायों और परिवारों में शांति की नींव होती है। मानवता की भलाई के कार्य करने के लिए आवश्यक साहस और आत्मविश्वास के लिए मन की शांति आवश्यक है।
जैसे-जैसे मानवता कोविड-19 महामारी के आघात से जूझ रही है, वैसे-वैसे वे लोग भी अपने जीवन में शांति की तलाश करने लगे हैं जो सामान्य रूप से शांति की परवाह नहीं करते। अफगानिस्तान, इथियोपिया, दक्षिण सूडान, सीरिया, यमन और दुनिया के अन्य हिस्सों में मानवीय संकट ने आज मानवता के सामने आने वाली बहुआयामी चुनौतियों की जटिलता को और बढ़ा दिया है। अज्ञानता, चरमपंथी विचारधाराओं और गलत सूचनाओं के अभिशाप का मुकाबला करना समय की मांग है। यह विषाक्त मेल मानव सभ्यता की नींव पर ही संकट बन कर मंडरा रहा है।
आंतरिक शांति के बिना, वैश्विक शांति, सतत विकास और सामाजिक एकीकरण जैसे बाहरी लक्ष्य मृगतृष्णा बने रहेंगे।
शांति कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे बाजार में खरीदा जा सके। इसका हममें से प्रत्येक के भीतर पालन-पोषण करना होगा।
आंतरिक शांति पाने में मुख्य बाधा मन में तनाव है। आज, युवा और बुजुर्ग समान रूप से अभूतपूर्व पैमाने पर तनाव, अकेलापन और चिंता का अनुभव कर रहे हैं। अवसाद और मानसिक स्वास्थ्य एक वैश्विक चिंता बन गए हैं।
दुर्भाग्य से, न तो घर पर और न ही विद्यालय में हम यह सीखते हैं कि अपनी नकारात्मक भावनाओं को कैसे संचालित करें, तनाव से कैसे छुटकारा पाएं और जीवन की कठिनाइयों का सामना कैसे करें। तनाव और आक्रामकता का आपस में सीधा संबंध है। वे दोनों एक दूसरे का पोषण करते हैं और इस प्रकार हिंसा का एक चक्र बनाते हैं। वहीँ दूसरी ओर, आंतरिक शांति हमें शक्ति देती है जो रचनात्मक मानसिकता के साथ चुनौतियों का सामना करने में सहायक होती है।
विश्व शांति केवल उच्च स्तरीय नीतियों को लागू करने से नहीं आ सकती है। शांतिपूर्ण विश्व का निर्माण तो शांतिपूर्ण व्यक्ति ही कर सकते हैं। आंतरिक शांति वाला व्यक्ति अपने संपर्क में आने वालों पर सकारात्मक प्रभाव डालने में सक्षम होता है और इस प्रकार समाज में शांति स्थापित करता है।
एक व्याकुल मन समाधान नहीं खोज सकता। यह अपने ही भार में झुक जाता है और समस्या को और जटिल बना देता है। इस कठिन समय में आंतरिक शांति पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। हमें अपनी समस्याओं को चुनौतियों के रूप में देखने और उन्हें अवसरों में बदलने की ऊर्जा और ज्ञान होना चाहिए। शायद यह प्रतिरोधक्षमता और ज्ञान ही है जिसने जीवन को विकसित किया और उसे पृथ्वी पर सबसे कठिन परिस्थितयों पर विजय प्राप्त करने में सक्षम बनाया है। दुनिया भर की संस्कृति ऐसे लोगों के उदाहरणों से भरी पड़ी है जिन्होंने समाज के भलाई के लिए संकट को अवसरों में बदल दिया।
अब जब कि मानवता पुनः परिवर्तन और रूपांतरण के चौराहे पर है, हमें प्रत्येक व्यक्ति के भीतर शांति का आह्वान करने की आवश्यकता है, जो हमें वर्तमान संकट को साहस, आत्मविश्वास और करुणा के साथ पार करने सहायक होगी। आंतरिक शांति ही वह आधार है जिस पर हम दुनिया में सुधार और राहत के लिए आवश्यक शक्ति और प्रतिबद्धता को पा सकते हैं।
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