ध्यान लगाएँ और बोरियत दूर भगाएं | Flipping the Boredom with Meditation

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लोग अक्सर जल्दी से ऊब जाते हैं। इन दिनों लोग उन्‍हीं चार दीवारों के भीतर रह कर, एक समान लोगों के साथ जी कर या रोज-रोज एक जैसा खाना खा कर थक चुके हैं! बोर हो चुके हैं। जीवन में बोरियत लाने वाले इस पैटर्न को कैसे दूर करें?

जब मन बार-बार होने वाले किसी एक जैसे पैटर्न में फँस जाता है तो बोरियत घर कर लेती है। हमारी बुद्धि दोहराव या पुनरावृत्ति को आसानी से स्‍वीकार नहीं करती और एकरसता को तोड़ने के लिए संघर्ष करने लगती है। सक्रिय और तीक्ष्ण बुद्धि वाला व्यक्ति किसी सुस्त बुद्धि वाले व्‍यक्ति की तुलना में अधिक तेजी से ऊब जाता है।

जीवन में जब बोरियत आ जाती है, तो यह हमारी पूरी ऊर्जा को खींच लेती है। यह हमें जड़ता की ओर ले जाती है। जब हम बोर होते हैं, तो हमें कुछ भी अच्‍छा नहीं लगता और हम निराशा, क्रोध और यहां तक ​​कि अवसाद से भी ग्रसित हो जाते हैं। बोरियत से ग्रसित व्‍यक्ति न सिर्फ स्‍वयं उदास महसूस करता है बल्कि अपने आस-पास के लोगों में भी उदासीनता फैला देता है। क्‍या आप ऐसे किसी बोर व्‍यक्ति के साथ समय बिताना पंसंद करेंगे ?

हम स्‍वयं में और साथ ही दूसरों में उत्साह का संचार कैसे कर सकते हैं ? बोरियत को बढ़ावा देने वाले दोहराव, को रोकने के लिए, मन की इस प्रकृति को कैसे बदला जाए?

दोहराव केवल बुद्धि या मस्तिष्‍क के स्तर पर बोरियत पैदा करता है जबकि हृदय के स्तर पर, ये सकारात्मक स्‍पंदन पैदा करता है। जब हम इसे अपने जीवन में शामिल कर लेते हैं, तो ये दोहराव या पुनरावृत्ति हमें बोर नहीं करती है। रोज-रोज अपने दॉंतों को ब्रश कर के या रोज-रोज एक जैसी चाय पीने से कोई बोर नहीं होता! हम हर दिन समाचार देखते हैं, और फिर भी बोर नहीं होते हैं। माला ले कर नाम फेरने वाले या जप करने वाले, बार-बार वही मंत्र या प्रार्थना कर के बोर नहीं होते। परंतु कुछ अन्य बातों के प्रति हम आसानी से बोर हो जाते हैं, चाहे वे प्रथाएँ ही क्‍यों न हों। जब तक हम वर्कआउट करने या टहलने (वॉक) आदि को अपना जुनून या शौक नहीं बना लेते, हम इससे भी बहुत जल्‍दी बोर हो जाते हैं।

हम एक बेहद सुंदर बुद्धि और एक महान हृदय के साथ पैदा हुए हैं। और ध्यान इन दोनों के साथ एक रस हो कर बोरियत को पलटने का एक मार्ग है।

भावना के साथ दोहराव, उत्साह उत्पन्न करता है और बुद्धि के साथ दोहराव, बोरियत पैदा करती है। कोई गीत या भजन या ग़ज़ल, बिना दोहराव के नहीं चलती; पुनरावृत्ति के बिना संगीत नहीं हो सकता। तो पुनरावृत्ति भी हमको सक्रिय कर सकती है। इसलिए मैं कहता हूं कि बोरियत हमारे दिल और दिमाग के बीच एक सेतु का कार्य करती है। जब हम ऊब जाते हैं, तो जान लें कि हम अपने दिमाग का बहुत अधिक प्रयोग कर रहे हैं। हर समय कुछ नया, कुछ रोमांचक देखने की बजाय, दोहराव को अपनाएँ। यह हमें दूसरे आयाम में पहुँचाने के लिए एक सेतु का काम करेगा।

ध्यान मस्तिष्‍क से हृदय तक जाने की तकनीक है! यदि हम बैठ कर कुछ मिनटों तक बोरियत को गले लगाएँ तो हम गहन ध्यान में चले जाएँगे। बोरियत के इस क्षण का उपयोग अपने भीतर उतरने के लिए करें और गहन ध्यान में गोते लगाएँ। वास्तव में, हमें सभी सांसारिक बातों से ऊब जाना चाहिए! चूँकि हम लोग प्रबुद्ध हैं, इसलिए जब हम सभी बातों से ऊबने लगते हैं तो हमें अचानक जीवन में बसंत मिल जाता है। तब हमें कोई भी अन्य बात बोर नहीं कर पाएगी। हम बार-बार वही अनुभव करना जारी रख सकते हैं और तब हमारा मन वर्तमान क्षण में रहने लगता है। हम अपने पिछले अनुभवों या यादों में नहीं अटकते हैं। हमारी भावनाएँ जागृत हो जाती हैं और हमारे अनुभव जाग जाते हैं। तब हम बॉंटने और अपना योगदान देने की स्थिति में आ जाते हैं। देने वाला कभी नहीं थकता है, जबकि लेने वाला आसानी से थक जाता है। यदि हम बाहरी संसार से किसी प्रसन्‍नता, आकर्षण या उत्‍तेजना या उद्दीपन की तलाश कर रहे हैं तो बोरियत होना निश्चित है।

हमें सभी सांसारिक बातों से ऊब जाना चाहिए! चूँकि हम लोग प्रबुद्ध हैं, इसलिए जब हम सभी बातों से ऊबने लगते हैं तो हमें अचानक जीवन में बसंत मिल जाता है।

जब लोग प्यार में पड़ जाते हैं, तो वे दोहराव से कभी नहीं थकते। वे बार-बार कहते हैं, ‘मैं तुमसे प्यार करता हूँ’। प्रेम को दोहराव पसंद है। हम एक बेहद सुंदर बुद्धि और एक महान हृदय के साथ पैदा हुए हैं। और ध्यान इन दोनों के साथ एक रस हो कर बोरियत को पलटने का एक मार्ग है।

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