जीवन के विभिन्न पक्ष | Different Faces of Life

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प्राचीन ग्रंथ कहते हैं कि हम सब इस विशाल जीवन सागर में सीपियों की तरह तैर रहे हैं। यद्यपि सब समान चेतना से जन्मे हैं, लेकिन कोई भी दो जीवन एक जैसे नहीं हैं। हम सबके जीवन कितने भी अलग हों, सब एक दूसरे पर आश्रित हैं और सबसे कुछ न कुछ सीखा जा सकता है।

जीवन के सभी पक्षों को समझने के लिये, पांच दिन निकालें – ज्यादा नहीं, बस पांच दिन।

एक पूरा दिन, सुबह से शाम तक, किसी किसान के साथ बितायें। उसके साथ सुबह जल्दी खेत में जायें और देखें कि वह सारा दिन क्या करता है? आप वातावरण और भोजन के प्रति संवेदनशील हो जायेंगे। विश्व में भोजन का एक तिहाई हिस्सा बर्बाद किया जाता है और फेंक दिया जाता है। किसान के साथ पूरा दिन व्यतीत करने से आपको पता चलेगा कि भोजन उत्पन्न करने के लिये कितनी अधिक मेहनत और कितने संसाधनों का प्रयोग होता है। तब आप भोजन फेंकने से पहले दो बार अवश्य सोचेंगे।

एक दिन जेल में बितायें (परंतु बिना कोई अपराध किये). आपको अनुभव होगा कि जिन लोगों के ऊपर अपराधी का तमगा लगा कर जेल में डाल दिया गया है, वे परिस्थितिवश या अज्ञानतावश वहाँ पहुंचे हैं। जब क्रोध व्यक्ति को जकड़ लेता है, तो उसका अपने पर कोई नियंत्रण नहीं रहता। यदि आप सबसे खतरनाक अपराधी से मिलोगे तो वह भी यही कहेगा “मैंने ऐसा नहीं किया मुझे कुछ हो गया था और मुझसे यह हो गया”। यह स्पष्ट हो जायेगा कि प्रत्येक अपराधी के भीतर एक पीड़ित होता है, जो सहायता की पुकार कर रहा है। आपके हृदय में करुणा जाग जायेगी। यदि आपके दिल में किसी के लिये घृणा है तो वह भी समाप्त हो जाएगी।

तीसरे दिन एक विद्यालय के अध्यापक बन जायें। तब आपको पता चलेगा कि गुरु की आवश्यकता क्यों है? जीवन में आप जहां कहीं भी होते हो, वहां बहुत से लोगों की आप सहायता कर सकते हैं और मार्गदर्शन कर सकते हैं। यह भीतर गहराई से संतोष प्रदान करता है। ऐसा नहीं है कि जिनके लंबे बाल और दाढ़ी हो, वही गुरु हो सकते हैं । हर कोई कम से कम कुछ लोगों के लिये तो गुरु हो ही सकता है। आपको अध्यापक बनने के लिये किसी विशेष कौशल की आवश्यकता नहीं है । इसके लिये बस करुणा की आवश्यकता है। अध्यापक होने के नाते आप लोगों में करुणा का संचार कर सकते हैं। “मुझे कुछ नहीं चाहिये,बस मेरे छात्र उन्नति करें”, ऐसा नि:स्वार्थ प्रेम आपके जीवन में आ जायेगा।

चौथा दिन किसी मानसिक चिकित्सा संस्थान में बितायें। पागलखाने में आपको कोई भी कुछ कहे,आपको कोई भी नाम लेकर बुलाये, आप इसका बुरा नहीं मानोगे। एक दिन जब आप ऐसी जगह पर व्यतीत करोगे जहां आपको कोई भी कुछ भी कहे, तब आपके अंदर यह हिम्मत आ जायेगी कि आप बिना उत्तेजित हुये किसी भी प्रकार की आलोचना सह लेंगे। न केवल बिना उत्तेजित हुये किसी भी प्रकार की आलोचना सह लेंगे, बल्कि जो लोग आपकी आलोचना कर रहे हैं उनके प्रति आपके मन में सहानुभूति भर जायेगी। हम छोटी-छोटी बातों पर उत्तेजित हो जाते हैं। वह मेरे बारे में क्या सोचेगा? हम यह सब सोचकर हिल जाते हैं और एक दम अपनी प्रतिक्रिया दे बैठते हैं। आपके अंदर आलोचना करने और आलोचना सहने, दोनों की शक्ति होनी चाहिये। यदि हम अपने बच्चों को यह सिखायेंगे, तब वह समाज के मजबूत व स्थिर सदस्य बन पायेंगे।

एक दिन किसी कब्रिस्तान या श्मशान में बितायें। आप को इस जीवन के अस्थायित्व का बहुत निकट से और बहुत गहरा अनुभव होगा। आपकी जो भी शिकायतें हैं,सब समाप्त हो जायेंगी। यह अनुभव कि मृत्यु किसी भी समय आ सकती है, आपके जीवन का परिपेक्ष्य हमेशा के लिये बदल देगा।

केवल औपचारिक शिक्षा ही काफी नहीं है। पूर्ण शिक्षा के लिये जीवन के विभिन्न पक्षों को जानना आवश्यक है। जब हम जीवन के विभिन्न पक्षों को गौर से देखते हैं, तो यह हमें केंद्रित और स्वयं में स्थिर बना देता है।

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