गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने हाउस ऑफ कॉमन्स के अध्यक्ष के चैंबर में लंदन के लॉर्ड्स एवं लेडीज़ तथा सांसदों को संबोधित किया | Gurudev Sri Sri Ravi Shankar addresses Lords, Ladies & MPs in the Speaker’s Chambers at the House of Commons
आध्यात्मिकता और मानवीय मूल्य | Published: | 1 min read
Gurudev Sri Sri Ravi Shankar addressed Members of Parliament and Members of the House of Lords to speak on ‘Creating Social Cohesion for A Stress Free Violence Free Britain’ in the Speaker’s Chambers
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लंदन, यूनाइटेड किंगडम
१६ जून, २०१६
श्री श्री रवि शंकर ने दिनांक 15 जून, बुधवार को हाउस ऑफ कॉमन्स के अध्यक्ष माननीय राइट (Rt.) जॉन बर्को की अनुमति से अध्यक्ष के चैंबर में ‘तनाव मुक्त-हिंसा मुक्त ब्रिटेन बनाने के लिए सामाजिक एकजुटता का निर्माण’ विषय पर संसद सदस्यों और हाऊस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्यों को संबोधित किया।
सांसद मैथ्यू ऑफोर्ड और भारत के उच्चायुक्त महामहिम नवताज सारना ने श्रीश्री का परिचय कराते हुए उन्हें स्टेज पर आमंत्रित किया। श्री शैलेष वारा, स्टेट के पार्लियामेंट्री अंडर सेक्रेट्री, न्याय ने समापन भाषण प्रस्तुत किया।
चूंकि यूनाइटेड किंगडम वर्तमान में अप्रवासन संकट और धार्मिक कट्टरतावाद से जुड़ी हुई अंतर-सांस्कृतिक एकीकरण की अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में श्रीश्री द्वारा अहिंसा का संदेश प्रासंगिक था और इस बात पर आधारित था कि कैसे तनाव और चिंता लोगों को अवसाद और तनाव की ओर उन्मुख कर सकता है, जो कि अंतत: समाज में स्थायी रूप से विद्यमान हो कर एक ऐसा परिवर्तन ला सकता है, जो कि उनकी मान्यताओं / विश्वास और मूल्यों के लिए चुनौती बन कर संघर्ष और विवाद को जन्म दे सकता है। उन्होंने शिक्षा के महत्व और बच्चों को व्यापक दृष्टिकोण से बड़ा करने तथा सभी धर्मों और संस्कृतियों के मूल्यों को पढ़ाने की आवश्यकता पर भी बात की जिससे कि वे एक-दूसरे के साथ ज्यादा बेहतर तरीके से जुड़ सकें।
श्री श्री ने हाल ही में FARC लीडरशिप (कोलंबिया के क्रांतिकारी सशस्त्र बल) एवं कोलंबियाई सरकार के साथ की गई मध्यस्थता वार्ता, जिससे उस क्षेत्र में स्थिरता को बहुत बढ़ावा मिला है, में अपनी सफलता की बात भी साझा की। हिंसा और नागरिक अशांति से परेशान, कोलंबियाई सरकार ने क्यूबा में सशस्त्र उग्रवादी समूह के नेताओं और श्रीश्री के बीच वार्ता आयोजित की थी। इस वार्ता में श्रीश्री द्वारा गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांत का पालन करने के लिए उन्हें मना लेने के बाद, उस संघर्ष में दो तरफा संघर्ष विराम लग गया, जिसमें २२0,000 जानें चली गईं थीं और जिसमें ७ मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हो चुके थे।
श्री श्री के प्रयासों को योग और ध्यान से बल मिला है; उनकी रणनीति करुणा से आच्छादित है। उन्होंने कहा कि ‘न तो घर पर और न ही विद्यालय’ में हमें सिखाया जाता है कि अपनी नकारात्मक भावनाओं को कैसे संभाला जाए। ऐसी भावनाएं जीवन की एक सच्चाई हैं, परंतु कुछ टूल्स (विशेष क्रिया-कलाप) और तकनीक जो जीवन के तनाव को दूर करती हैं और शांति तथा स्थिरता लाती हैं, का प्रयोग कर के हम बेहतर निर्णय क्षमता और दूसरों के साथ अच्छे संबंध स्थापित कर सकते हैं।
इससे पहले अर्थात दिन की शुरुआत में श्रीश्री ने इंग्लैंड और वेल्स के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान (ICAEW) में ‘लीडरशिप, माइंड या मैटर ?’ विषय पर एक महत्वपूर्ण भाषण दिया और प्रश्नोत्तर सत्र में भाग लिया था जिसमें उन्होंने मन को स्पष्ट रखने, हृदय को शुद्ध बनाने और अपने कार्यकलापों में ईमानदारी बरतने के अपने मार्गदर्शी सिद्धांतों को २५0 एकाउंटेंट और बड़े व्यापारियों के साथ साझा किया।
वर्तमान में श्री श्री ब्रिटेन के पांच शहरों के दौरे पर हैं, जिसके अंतर्गत मैनचेस्टर, लिवरपूल, लीसेस्टर, एडिनबर्ग और अंत में १९ जून रविवार को लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस सार्वजनिक दौरे का नाम ”ध्यान २.0– गहराई में जाओ’’ है, इसमें श्री श्री ध्यान की गहरी समझ और ज्ञान के विषय में संबोधन देंगे।
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