श्री श्री को "ऑर्डर ऑफ सेंट जॉर्ज" पुरस्कार से सम्मानित किया गया | Gurudev Receives The ‘Order of St. George’ Award
आध्यात्मिकता और मानवीय मूल्य | Published: | 1 min read
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर को कोट्टयम (केरल, भारत) के प्राचीन 462 वर्ष पुराने सेंट जॉर्ज ऑर्थोडॉक्स चर्च के सर्वोत्तम पुरस्कार, "ऑर्डर ऑफ सेंट जॉर्ज" से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें चर्च के स्मरणीय भोज में दिया गया।
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5 मई, 2019
कोट्टायम, केरल, भारत
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर को कोट्टयम के प्राचीन 462 वर्ष पुराने सेंट जॉर्ज ऑर्थोडॉक्स चर्च के सर्वोत्तम पुरस्कार, “ऑर्डर ऑफ सेंट जॉर्ज” से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें चर्च के स्मरणीय भोज में दिया गया।
गुरुदेव के साथ साथ, इस समारोह में केरल के लोकप्रिय पूर्व मुख्यमंत्री माननीय डॉ ऊम्मेन चण्डी भी उपस्थित थे और समारोह के अध्यक्ष थे माननीय डॉ थॉमस मार अथानेसियस मेट्रोपोलिटन, जिन्होंने स्मरणीय भोज के कई कार्यक्रमों का नेतृत्व भी किया।
पुरस्कार स्वीकार करते हुए, गुरुदेव ने इस बात पर ध्यान आकर्षित किया कि पुरस्कार मिलने का अर्थ है कि दूसरों की सेवा करने के लिए अधिक ज़िम्मेदारी लेना।
गुरुदेव की भूमिका के बारे में बात करते हुए, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री माननीय ऊम्मेन चण्डी ने कहा कि यह देश और यह विश्व गुरुदेव जैसे व्यक्ति की उपस्थिति से धन्य है, जो निरन्तर आध्यात्मिक जागरूकता व समाज के उत्थान के लिए कार्य करते चले आ रहे हैं।
“वे शांति व संवेदनशीलता का प्रतीक हैं और उनके होने से ही यह दुनिया एक बेहतर दुनिया है,” पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा।
उन्होंने उस समय को भी याद किया जब वे मुख्यमंत्री थे और कितनी बार गुरुदेव और उनकी संस्थान – द आर्ट ऑफ लिविंग ने राज्य की सेवा की और राज्य में बहुत अच्छा कार्य किया।
डॉ थॉमस मार अथानेसियस मेट्रोपोलिटन, समारोह के अध्यक्ष कहते हैं, “यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है और यह पुदुपल्ली के लिए एक आशीर्वाद है कि वे (गुरुदेव) स्वयं यहाँ पुरस्कार स्वीकार करने आए हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि आज विश्व एक वैश्विक गाँव के समान तो बन गया है पर लोगों के दिल छोटे हो गए हैं और स्वार्थ से भर गए हैं। उनके दिलों से प्रेम और दया का भाव लुप्त हो गया है।
“गुरुदेव दुनिया को प्रेम और एकजुटता से जोड़ रहे हैं और उसे बदल रहे हैं ताकि हमारे आसपास शांति, सम्मान और सहनशीलता का भाव बढ़े,” डॉ थॉमस ने बताया।
अपने आधार व्याख्यान में गुरुदेव ने कहा, “जब आपके हृदय में प्रेम हो तो यह समस्त संसार आपका है और यही सभी धर्मों का सार है। जब आप हर धर्म की जड़ तक जाएँगे तो आपको यही संदेश प्राप्त होगा – दया, प्रेम व सेवा को अपने जीवन का सूत्र बनाएँ।” उन्होंने प्रेम और अनुशासन के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया क्योंकि केवल प्रेम अव्यवस्था की स्थिति उतपन्न कर सकता है और केवल अनुशासन से घुटन महसूस हो सकती है। गुरूदेव ने तीन प्रकार की श्रद्धा के बारे में भी बात की जो किसी व्यक्ति में होनी चाहिए – पहला, स्वयं में श्रद्धा, दूसरा, समाज में श्रद्धा और तीसरा दिव्यता में श्रद्धा। “यह जान लें कि समाज में अनेक व्यक्ति हैं जो बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। इसमें श्रद्धा रखें। यदि आप मेरे नज़रिए से देखेंगे, तो आप पाएँगे कि इस पृथ्वी पर कोई बुरा व्यक्ति नहीं है।”
यह चर्च, जिसे पूर्व का जॉर्जियन तीर्थ स्थल माना जाता है, इस वार्षिक भोज में कई पारम्परिक रस्मों व रीति रिवाजों के लिए जाना जाता है, जैसे कि ध्वज फहराना, आतिशबाज़ी, बालकों को चावल खिलाना, सामूहिक भोज, पारम्परिक जुलूस व आतिशबाज़ी, पारिवारिक मिलाप इत्यादि। 6 और 7 मई को पवित्र भोज का आयोजन भी किया जाएगा। बलिदान वेदी पर सोने के क्रॉस की स्थापना 6 मई को की जाएगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वर्ष, 10,001 किलो चावल श्रद्धालुओं के लिए पकाया जाएगा।
संत जीवर्घिस सहादा का शहीदी दिवस 23 अप्रैल को था। स्मारक भोज के सम्बंध में आयोजित वार्षिक सम्मेलन 30 अप्रैल को आरम्भ हुआ और उसका समापन 5 मई को होगा।
Received the Order of St George conferred by the Orthodox Church, Kottayam, Kerala. Appreciate the honour & the warm reception by Dr. Thomas Mar Athanasius Metropolitan & Ex CM Sri @Oommen_Chandy. The service projects & the interfaith initiatives by the Church are laudable. pic.twitter.com/LFhrssfdRv
— Gurudev Sri Sri Ravi Shankar (@SriSri) May 5, 2019
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