कोरोना वायरस की इस दुष्कर परिस्थिति में स्वयं को चुस्त दुरुस्त रखने के उपाय | Wellbeing And Wellness Tips To Handle The Corona Virus Situation
सेवा और सामाजिक कार्यक्रम | Published: | 1 min read
विश्व में व्याप्त कोरोना वायरस की इस दुष्कर परिस्थिति में, गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने सभी लोगों को शांति बनाये रखने को कहा और जीवन शैली में साधारण बदलाव बताये जिनको अपनाने से इस संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।
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20 मार्च, 2020
बेंगलुरु, भारत
विश्व में व्याप्त कोरोना वायरस की इस दुष्कर परिस्थिति में, गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने सभी लोगों को शांति बनाये रखने को कहा और जीवन शैली में साधारण बदलाव बताये जिनको अपनाने से इस संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।
उनके पुरे लेख को पढ़ें – “Be rest assured, we will overcome this.”
हमारी रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाने के लिए उनके द्वारा बताये गए कुछ सुझाव:
- अपने आहार का ध्यान रखे ( सफ़ेद चीनी और मैदा से दूर रहें )
- साँसों की कुछ तकनीकें करें:
- नाड़ी शोधन प्राणायाम
- भस्त्रिका (एक अनोखा जोर से श्वसन)
- धीमा उच्छवास
- भ्रामरी (भ्रमर गुंजार)
- निर्देशित ध्यान
- अपने आहार में हल्दी को अपनाये
- सहजन के पत्तों को अपने आहार में जोड़े
यहाँ एक विडिओ में वे इन सभी बातों को समझाते है और ध्यान भी कराते हैं –
जब सभी कोरोना वायरस के कारण सभी लॉकडाउन में हैं, यहाँ एक विडिओ में वे बताते हैं कि निम्नलिखित आसान चीजों को करके अचानक आयी विलगन की स्थिति का सामना सहजता से किस प्रकार करें ।
- दिन में २-३ बार ध्यान करें
- अपना ज्ञान बढ़ाएं
- नयी कला/हुनर सीखें। कोई नयी भाषा सीखे या नया शौक अपनाये।
- किताबे पढ़े, जानकारी से भरे और शैक्षिक विडिओ देखे।
- सोशल मीडिया के जरिये लोगों से जुड़ें और उन्हें उत्साहित करे।
- कुछ दिनों के लिए चीजों को धीमा कर दे, शांत हो जाये और ठहर जाये !
#Coronavirus
All of us need to be careful but there is no need to panic. On the other hand, let's not be complacent either. Accept this challenging situation & see how you can use it constructively. Perhaps, Nature wants everybody to slow down a little from the rush they are in.— Gurudev Sri Sri Ravi Shankar (@SriSri) March 10, 2020
भाषांतरित ट्वीट –
“हम सभी को सावधान होने की आवश्यकता है पर घबड़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है। दूसरी तरफ लापरवाह भी नहीं होना है। इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति को स्वीकार करें और देखें किस प्रकार इसका रचनात्मक उपयोग हो सकता है। संभवतः प्रकृति ही चाहती है कि हम सभी जिस जल्दबाजी में है उससे बाहर आएं, ठहरे और धीमें हों जाएं ।”
“कोरोना वायरस एक भारी संकट है लेकिन ये एक अवसर भी है कि हम अपने जीवन की ओर देखें, समाज में हमारी भूमिकाओं और जिम्मेदारियां पर आत्म मंथन करें। बहुत कम निद्रा, अपर्याप्त विश्राम के साथ हम बहुत व्यस्त रहे या फिर बहुत अधिक विश्राम में थे । इसलिए इस समय का उपयोग इन सभी पर विचार करने के लिए करें और देखें हमारे जीवन का उद्देश्य क्या होना चाहिए। यह बहुत ही लाभकारी होगा ।
एकांत सदा ही उबाऊ नहीं होता है। यह एक आतंरिक शक्ति और वैचारिक स्पष्टता लाता है। ध्यान करे, योगासन करे, और प्रकृति के साथ समय बिताये । यह अचानक आया बदल अप्रत्यक्ष कृपादान है। लोगों का अभिवादन नमस्ते से करें। हममें से अधिकांश ने अपने स्वयं के साथ समय ही नहीं बिताया है अतः एकांत का आनंद लें और कुछ समय अपने साथ बिताये। हम अधिकांश समय इतने सक्रीय होते हैं कि कर्ता और दृष्टा दृश्य में ही खो जाते हैं। अभी वह समय है जब हम स्वयं के साथ रहे और दृश्य से दृष्टा की ओर आएं। यही योग है।”
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