दो हजार किसान मूल देसी-बीज सम्मेलन में मिले | Two thousand farmers meet at the Native-Seed Convention

सेवा और सामाजिक कार्यक्रम | Published: | 1 min read


दो हजार किसान मूल देसी-बीज सम्मेलन में मिले | Two thousand farmers meet at the Native-Seed Convention  

देसी बीज महोत्‍सव (मूल-बीज सम्मेलन) का हिस्‍सा बनने के लिए आर्ट ऑफ़ लिविंग के अंतर्राष्‍ट्रीय केंद्र में 8 भारतीय राज्यों के दो हजार से अधिक किसान एक कॉमन प्‍लेटफार्म पर मिल कर एक-दूसरे से परस्‍पर मुलाकात कर आपस में ज्ञान का आदान-प्रदान किए, इसके अलावा उन्‍होंने देसी बीज़ की किस्‍मों के बारे में जाना तथा हाइब्रिड बीज बनाने वाली कंपनियों के वर्चस्‍व को समाप्‍त करने के लिए इन्‍हें उगा कर कैसे लाभ कमाया जा सकता है, भी सीखा।

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किसानों को आपस में एक-दूसरे से जोड़ने और देसी (मूल) बीज किस्मों के बारे में आपस में ज्ञान का आदान-प्रदान करने तथा इन्‍हें पैदा करना किस प्रकार से एक व्यवहार्य व्यवसाय हो सकता है, विषय पर चर्चा करने के लिए इस सम्‍मेलन का आयोजन किया गया था।

बेंगलुरु, भारत
31 मार्च 2019

देसी बीज महोत्‍सव (मूल-बीज सम्मेलन) का हिस्‍सा बनने के लिए आर्ट ऑफ़ लिविंग के अंतर्राष्‍ट्रीय केंद्र में 8 भारतीय राज्यों के दो हजार से अधिक किसान एक कॉमन प्‍लेटफार्म पर मिल कर एक-दूसरे से परस्‍पर मुलाकात कर आपस में ज्ञान का आदान-प्रदान किए, इसके अलावा उन्‍होंने देसी बीज़ की किस्‍मों के बारे में जाना तथा हाइब्रिड बीज बनाने वाली कंपनियों के वर्चस्‍व को समाप्‍त करने के लिए इन्‍हें उगा कर कैसे लाभ कमाया जा सकता है, भी सीखा।

वैश्विक मानवतावादी और आध्यात्मिक नेता तथा आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी की उपस्थिति से प्रदर्शनी की शोभा बढ़ गई। इस अवसर पर कुछ पुरस्कार विजेता किसान एवं संरक्षणवादी व्‍यक्तित्‍व जैसे कि श्री भीम सिंह, जिन्‍हें माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से कृषि उन्‍नति पुरस्‍कार पुरस्कार प्राप्त है तथा श्रीमती रहीबाई सोमा पोपेरे जिन्‍हें ‘सीड मदर’ भी कहा जाता है और जिन्‍हें वर्ष 2018 में बीबीसी की ‘100 भारतीय महिलाओं की सूची’ में शामिल किया गया था, जैसे किसान जो कि अन्‍य किसानों को फसलों की विभिन्‍न देसी प्रजातियां लगाने, स्‍वयं-सहायता समूहों हाईसिंथ बीन्‍स तैयार करने में सहायता करते हैं, भी शामिल थे।

भाषांतरित ट्वीट्स –

बैंगलोर आश्रम में आयोजित बीज महोत्‍सव ने बेहतरीन देशी (देसी) बीज रखने वाले पूरे भारत से 2000+ किसानों को एक मंच पर ला कर खड़ा कर दिया है।
आर्ट ऑफ लिविंग, हाइब्रिड और जीएमओ किस्मों के कारण लगभग विलुप्तप्राय हो गए बीजों के लिए एक देसी बीज कोष का निर्माण करेगा। 1/2


उल्लेखनीय ज्ञान का आदान-प्रदान – एक एकड़ के लिए केवल 250 ग्राम बीज का उपयोग करने की विधि, धान के बजाय चावल से अंकुरण लेने का एक अभिनव तरीका और बीज संरक्षण के विभिन्‍न तकनीक। आयोजन में प्रख्यात बीज पालक, जिनमें रहिबाई सोमा पोपरे (बीज माता) और डॉ. उदयभान का सम्‍मान भी किया गया। 2/2


श्री श्री कहते हैं, “हम किसानों को इन देसी बीजों की खेती और संरक्षण में मदद कर रहे हैं,” कृषि मानव अस्तित्व की रीढ़ है। किसी भी सभ्यता की समृद्धि के लिए, कृषि स्वस्थ और पुष्‍ट होनी ही चाहिए। ”

एसएसआईएएसएटी (SSIAST) के अध्यक्ष राम कृष्ण रेड्डी ने बीज महोत्सव में सभी किसानों का स्वागत करते हुए कहा कि “किसानों को बीज और ज्ञान बांटने के लिए विशेष रूप से इस बीज मेले का आयोजन किया गया है। अब तक किसानों को हर बार बुवाई के लिए बीज (जो ज्यादातर संकर किस्म हैं) खरीद कर लगाना पड़ता था, उन्‍हें इस चक्र से मुक्त करने के लिए हम स्वदेशी बीज की ओर वापस लौटने की इस विधि को अपनाने का प्रस्ताव रख रहे हैं। किसान को और अधिक कमाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु हम किसानों को स्वदेशी बीज उगाने और उन्‍हें आपस में परस्‍पर बेचने के लिए प्रशिक्षित भी कर रहे हैं।”

श्री श्री का लक्ष्‍य देसी गाय और देसी बीज की किस्मों की रक्षा कर देश के प्रत्‍येक किसान को प्रसन्‍न, समृद्ध एवं स्वस्थ बनाना है। उनके लक्ष्‍यों को पूरा करने एवं साथ ही खरीफ की फसल के लिए किसानों को बीज उपलब्‍ध कराने के उद्देश्‍य से एसएसआईएएसटी (SSIAST) ने इस बीज महोत्‍सव का आयोजन किया है।

एसएसआईएएसटी के सीईओ वेंकटेश एसआर ने कहा, ”देसी बीज स्थानीय कृषि मौसम के सबसे ज्‍यादा अनुकूल होते हैं, और साथ ही कीटों के हमलों, बीमारियों और सूखे मेंभी कारगर होते हैं। किसान ही बीजों के सर्वोचित स्‍वामी होते हैं। बीज रक्षक होते हैं। किसानों का सच्चा सशक्तिकरण इस आपूर्ति श्रृंखला में उनके सक्रिय भागीदार होने में निहित है।”

आर्ट ऑफ लिविंग ने भारत के 22 राज्यों में 2.2 मिलियन किसानों को प्राकृतिक कृषि पद्धति जो कि जलवायु प्रतिरोधी है, बहु-फसल विधि है, में प्रशिक्षित किया है, ताकि कम वर्षा के बावजूद भी किसान मुनाफा कमा सकें और उन्‍हें बिना वित्तीय और शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य से समझौता किए प्रतिस्पर्धी पैदावार प्राप्‍त हो सके। प्राकृतिक खेती के लिए देसी बीजों की आवश्यकता होती है। वर्तमान में, स्वदेशी बीज प्राप्त करने के लिए बहुत कम विश्वसनीय स्रोत उपलब्‍ध हैं।

एसएसआईएएसटी के ट्रस्टी डॉ. प्रभाकर राव ने कहा, “देसी बीज, हाइब्रिड बीजों, जिन पर कुछ बड़ी कंपनियों का ही एकाधिकार है, की तरह नहीं होते हैं, देसी बीज को किसी के भी द्वारा उगाया और पैदा किया जा सकता है, और इसे उगाने वाले को बदले में कुछ नहीं देना पड़ता है।”

आर्ट ऑफ लिविंग, यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स, टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख, जर्मनी एवं फ्रांस के हीरलूम सीड ब्रीडर्स एसोसिएशन जैसे कुछ विश्वविद्यालयों के सहयोग से एक रॉयल्टी मॉडल विकसित करके देसी बीज उत्‍पादन को एक व्‍यवहार्य व्‍यापार कैसे बनाएं विषय पर ज्ञान प्रदान कर रहा है।

महोत्सव में निम्‍नलिखित ज्ञान का भी आदान-प्रदान किया गया :

  1. धान उगाने की विधि का प्रदर्शन, जहां एक एकड़ भूमि के लिए 2.5 किलोग्राम बीज का उपयोग किया जाता है।
  2. 50 सेमी X 50 सेमी – पेरुमल विधि – जहां प्रति एकड़ 250 ग्राम बीज का उपयोग किया जाता है।
  3. बीजामृत तैयार करना – 90% तक बीज का अंकुरण सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी विधि द्वारा बीज का उपचार
  4. फसल कैलेंडर
  5. देसी बीजों को प्राकृतिक तरीकों से कैसे संरक्षित रखा जाए।

We have arranged this seed mela exclusively for farmers to share seeds and knowledge. said Ram Krishna Reddy, Chairman, SSIASTBeej Mahotsav organized To Connect Farmers And Exchange Knowledge About Desi Seed Varieties And How Growing It Can Be A Viable Businesdesi seed convention desi seed convention

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