गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने वेदवती पुनरुद्धार परियोजना स्थलों का निरीक्षण किया | Gurudev Sri Sri Ravi Shankar inspects Vedavathi Rejuvenation project sites
सेवा और सामाजिक कार्यक्रम | Published: | 1 min read
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने बुधवार को चिकमंगलूर और उसके आसपास के स्थलों का दौरा किया। उन्होंने उन किसानों और गाँव के लोगों से मुलाकात कर उनकी खुशियों को साझा किया, जो 2013 से शुरू हुई इस परियोजना से लाभान्वित हो चुके हैं।
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चिकमंगलूर, कर्नाटक
3 अगस्त, 2017
वर्तमान में एक ओर जहाँ कर्नाटक का अधिकांश भाग सूखे से ग्रस्त है और दूसरी ओर कावेरी नदी पर विवाद चल रहा है तब इन परिस्थितियों में चिकमगलूर, हसन और चित्रदुर्ग में वेदवती नदी घाटियों से पानी की उम्मीद बनी है, तीनों जिलों का जल परिदृश्य आर्ट ऑफ़ लिविंग की वेदवती नदी पुनरुद्धार परियोजना के साथ बदल रहा है।
गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने बुधवार को चिकमंगलूरऔर उसके आसपास के स्थलों का दौरा किया। उन्होंने उन किसानों और गाँव के लोगों से मुलाकात कर उनकी खुशियों को साझा किया, जो 2013 से शुरू हुई इस परियोजना से लाभान्वित हो चुके हैं। गुरुदेव ने सामुदायिक भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए 6,786 पुनर्भरण संरचनाओं का नेटवर्क बनाने का काम करने वाले परियोजना समन्वयकों और स्वयंसेवकों की भी सराहना की।
चिकमंगलूर के बिरेनहल्ली गाँव के एक किसान थम्मे गौड़ा के बोरवेल में पिछले 10 साल से पानी नहीं था उन्होंने सभी को बताया कि “आर्ट ऑफ़ लिविंग द्वारा मेरे खेत के आसपास के क्षेत्र में रिचार्ज संरचनाओं का निर्माण करने के बाद, जलस्तर पानी 450 फीट से बढ कर 30 फीट तक आ गया है। अब मेरा मुनाफ़ा 30-40,000 रुपयों बढ़कर 1.5 से 2.5 लाख रु. तक पहुंच गया है क्योंकि मैं अब कई फसलें उगा सकता हूँ।”
किसानों, स्थानीय अधिकारियों और मीडिया के साथ बातचीत के दौरान, गुरुदेव ने भारी मात्रा में भूजल को नष्ट करने वाले नीलगिरी और बबूल के पेड़ों की बजाय वर्षा को आकर्षित करने वाले नीम, बरगद, कदंब और पीपल जैसे पेड़ों को उगाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मैं झीलों की अनदेखी करने के पक्ष में नहीं हूँ बल्कि हमें तो छोटे से छोटे जल निकायों को भी संरक्षित करने की आवश्यकता है।
वेदवती नदी पुनरुद्धार परियोजना के लिए एकीकृत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए पुनर्वितरण गतिविधियों और पुनर्विकास संरचनाओं का निर्माण किया गया है इन कार्यों में चिकमगलूर, चित्रदुर्ग, और हसन के भूजल वैज्ञानिक, रिमोट सेंसिंग विशेषज्ञ तथा विभिन्न समुदायों के स्वयंसेवक शामिल हैं। चिकमगलूर के जिला परिषद की अध्यक्ष श्रीमती बी चैत्रश्री ने कहा, “मैं गुरुदेव श्री श्री रविशंकर की इस पहल से बहुत खुश हूँ जिससे किसानों को बहुत मदद मिलेगी। हम नदियों को पुनर्जीवित करने के प्रयासों से नदियों के जल में होने वाले सुधारों को देख पा रहे हैं।” कडूर तालुका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री रेवन्ना ने चल रही परियोजना की सराहना करते हुए कहा, उन्होंने कहा कि “यह एक उत्कृष्ट परियोजना है, जो अब विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे यहाँ पिछले तीन वर्षों से बारिश नहीं हुई थी। अगर हम यह काम नहीं करते हैं, तो आने वाली पीढ़ियों का जीवन जोखिम में पड़ जाएगा।”
द आर्ट ऑफ लिविंग के नदी पुनरुद्धार परियोजनाओं के निदेशक डॉ. लिंगराजु येल ने बताया कि पुनरुद्धार प्रक्रिया पूरी तरह से वैज्ञानिक योजना का परिणाम है। उन्होंने बताया कि “हम नदियों के स्रोत पर वर्षा जल के प्रवाह को धीमा कर देते हैं और इसे अपने बोल्डर चेक और कुओं को रिचार्ज करने के माध्यम से जमीन में जाने देते हैं। रिमोट सेंसिंग के माध्यम से, पृथ्वी की पपड़ी में फ्रैक्चर की पहचान की जाती है और भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए इंजेक्शन कुओं का निर्माण किया जाता है।”
गुरुदेव ने चिकमंगलूर में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि “इस तकनीक को सभी के साथ साझा किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि “कावेरी विवाद को हल करने के लिए, हमें तमिलनाडु में नदियों का पुनरुद्धार करना चाहिए और इसीलिए हमने इस नदी के पुनरुद्धार की तकनीक को तमिलनाडु में अपनाया है” । 2015 में, द आर्ट ऑफ लिविंग ने तमिलनाडु में नागनाढ़ी नदी पुनरुद्धार परियोजना शुरू की और अब इसके परिणाम आने शुरू हो गए हैं।
वेदवती नदी पुनरुद्धार स्थलों के लिए गुरुदेव की यात्रा ने परियोजना को पूरा करने के लिए और अधिक प्रोत्साहन प्रदान किया है, जिससे 15 लाख लोगों के लाभान्वित होने की उम्मीद है। यात्रा के दौरान, उन्होंने चिकमगलूर में जल योद्धाओं के जुलूस का नेतृत्व भी किया, जिसमें विधायक, किसान और स्वयंसेवक शामिल हुए। जुलूस हर किसी को पानी के संसाधनों को रोकने, पानी का बेहतर उपयोग करने, पेड़ लगाने और वर्षा जल उपयोग की शपथ लेने के साथ समाप्त हुआ।
वेदवती बेसिन की अपनी यात्रा के बाद, गुरुदेव गुरुवार को कुमुदवती नदी के पुनरुद्धार कार्य का निरीक्षण और समीक्षा करेंगे। वर्तमान में आर्ट ऑफ लिविंग पूरे भारत में 30 नदियों को पुनर्जीवित करने की परियोजना पर काम कर रहा है।
On a 2-day visit to Vedavati river rejuvenation sites around Chikmagalur near Bengaluru where @ArtofLiving has been working since 2013. (1) pic.twitter.com/p71kqIS2M2
— Gurudev Sri Sri Ravi Shankar (@SriSri) August 2, 2017
भाषांतरित ट्वीट
बेंगलुरु के पास चिकमंगलूर में वेदवती नदी के पुनरुद्धार/ कायाकल्प स्थलों पर 2 दिवसीय यात्रा पर, जहां @ArtofLiving 2013 से काम कर रहा है। (1)
With 6786 recharge structures across 5477sq.km area, this project will provide easy access to water to 15lakh people in 1097 villages. (2) pic.twitter.com/CzGMwA1wMb
— Gurudev Sri Sri Ravi Shankar (@SriSri) August 2, 2017
भाषांतरित ट्वीट
5477 वर्ग किमी क्षेत्र में 6786 पुनर्भरण संरचनाओं के साथ, यह परियोजना 1097 गांवों में 15 लाख लोगों को पानी की आसान पहुंच प्रदान करेगी। (2)
Urged village heads & farmers to use scientific methods in selecting trees for planting to optimize water utilization. pic.twitter.com/yqTDLQOX8r
— Gurudev Sri Sri Ravi Shankar (@SriSri) August 3, 2017
भाषांतरित ट्वीट
पानी के ईष्टतम उपयोग के लिए वृक्षारोपण हेतु पेड़ों का चयन करने में वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करने के लिए ग्राम प्रधानों तथा किसानों से आग्रह किया।
आज चिकमंगलूर में वेदवती नदी पुनर्जीवन परियोजना स्थल के दौरे पर, सदस्यों के साथ बातचीत की ..
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी द्वारा प्रकाशित बुधवार,ऑगस्ट 2, 2017
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