हमें लोगों को उनके पूर्वाग्रहों से परे जाने में उनकी सहायता करने की आवश्यकता है | We need to help people move beyond their prejudices
शांति की पहल | Published: | 1 min read
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने महात्मा गांधी की 149 वीं जयंती पर पुलिस दल, शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं के एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल को संबोधित किया।
यह पृष्ठ इन भाषाओं में उपलब्ध है: English
२ अक्टूबर २०१८
बेंगलुरु, भारत
महात्मा गाँधी की १४९ वीं जयंती पर बंगलुरू में आर्ट ऑफ लिविंग अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में आर्ट ऑफ लिविंग की सहयोगी संस्था ‘इण्टरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वेल्यूज’ तथा ‘फ्रॉम इण्डिया विद लव’ प्रोजेक्ट द्वारा हिंसा की रोकथाम विषय पर आयोजित विश्व शिखर सम्मेलन में, आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता (प्रवर्त्तक), वैश्विक मानवतावादी तथा शांतिदूत गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने उन सार्वभौमिक मूल्यों को पहचानने की आवश्यकता पर बल दिया जो लोगों को उनकी धार्मिक व सांस्कृतिक विविधता के बावजूद एकता के सूत्र में पिरो कर रखते हैं।
Addressed delegates attending the #NonViolenceSummit2018 in @BangaloreAshram. Spirituality plays an important role in spreading peace, as it’s not just some practice or belief system, it is recognising human values & appreciating diversity that exists in creation. #GandhiJayanti pic.twitter.com/14GqUniXLP
— Gurudev Sri Sri Ravi Shankar (@SriSri) October 2, 2018
भाषांतरित ट्वीट – @srisri – बंगलुरू आश्रम में अहिंसा शिखरवार्ता 2018 में उपस्थित प्रतिनिधि मंडल को संबोधित किया। आध्यात्मिकता शांति की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि आध्यात्मिकता केवल एक परंपरा या विश्वास पद्धति ही नहीं है बल्कि यह मानव मूल्यों की पहचान करती है तथा इस सृष्टि में व्याप्त विविधता का सम्मान करती है। # गाँधी जयंती
ब्राजील सरकार ने आज गुरुदेव को ‘ब्राजील सैन्य पुलिस के मित्र’ की उपाधि से सम्मानित किया गया, क्योंकि आर्ट ऑफ लिविंग की ध्यान कार्यशालाओं के माध्यम से 1,000 से ज्यादा सैन्य कर्मी लाभान्वित हुए’
Was conferred the title of ‘Friend of the Military Police of Brazil,’ today, by the Brazilian government, as more than 1,000 military officials have benefited from the @ArtOfLiving’s meditation workshops. pic.twitter.com/U8oS8cKQT0
— Gurudev Sri Sri Ravi Shankar (@SriSri) October 2, 2018
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने कहा है “हिंसामुक्त समाज, अवरोधमुक्त बौद्धिकता, कष्टमुक्त स्मृतियाँ, दुःखमुक्त आत्मा हर व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है”। ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने एफएआरसी को महात्मा गाँधी के अहिंसा के सिद्धांतों का अनुसरण करने के लिए राजी कर लिया और उनके इस प्रयास ने वामपंथी गुरिल्ला आंदोलन, एफएआरसी तथा कोलम्बिया की सरकार के बीच चल रहे ५३ वर्ष पुराने नागरिक संघर्ष को समाप्त करने में एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक की भूमिका निभाई। मध्य पूर्व, कोलंबिया, कोसोवो, लेबनान, सीरिया, अफ्रीका, पाकिस्तान, भारत के उत्तर-पूर्व और कश्मीर जैसे क्षेत्रों में गुरुदेव लंबे समय से संघर्षों को सुलझाने तथा संघर्ष विराम के पश्चात राहत और पुनर्वास प्रदान करने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।
महात्मा गाँधी के अहिंसा के सिद्धांत द्वारा विश्व के वर्तमान विवादों को दूर करने तथा उन समस्याओं के समाधान हेतु दृष्टिकोण उत्पन्न करने के संबंध में विचार विमर्श हेतु एकत्रित हुए वैश्विक विचारकों, नीति निर्माताओं, कानून प्रवर्तन अधिकारियों, कार्यकर्ताओं, कानूनविदों और विद्वानों के साथ यूएस नेशनल पुलिस फाउंडेशन के ३0 से अधिक सदस्यों को संबोधित करते हुए, गुरुदेव ने कहा कि “हमें लोगों को उनके पूर्वाग्रहों से मुक्त होने में मदद करने की आवश्यकता है। हम सभी अलग-अलग भाषाओं में बात करते हैं और हमारी संस्कृतियाँ भिन्न हैं और इसी प्रकार हमारी पूजा पद्धतियाँ भी भिन्न हैं। आध्यात्मिकता उन सार्वभौमिक मूल्यों और विविधताओं को पहचान रही है जो हमारी सृष्टि में मौजूद हैं।”
भारत को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर शांति पर्यटन के केंद्र के रूप में रखते हुए, अमेरिका से भारत की यात्रा करने वाले प्रतिनिधि मण्डल ने भारत की संस्कृति को नजदीक से देखा और महसूस किया। इसके अलावा प्रतिनिधि मंडल ने ‘अहिंसा’ की पृष्ठभूमि में बसे परम ज्ञान को समझने के लिए कार्यशालाओं में भी भाग लिया। सम्मेलन में भाग लेने वाले नेशनल पुलिस फाउंडेशन के कुलपति डॉ. फ्रैंक स्ट्राब तथा एस्सारमैन, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज़ के निदेशक डॉ. मकरंद परांजपे, नॉर्थ मियामी के मेयर डॉ. जोसेफ स्मिथ, चार्ली एलेन, इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस और अन्य कानूनविद, शांतिदूत, शोधकर्ताओं और विचारकों की मेजबानी की गई।
यूपी पुलिस के पूर्व डीआईजी पद्मश्री प्रकाश सिंह ने कहा कि “अपने ३५ वर्षों के पुलिस कैरियर में मैंने आतंकवाद और हर प्रकार के अलगाववाद को देखा है।” “मैं अपने अनुभव के आधार पर विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि हमारी अधिकतर समस्याओं का जड़ भ्रष्टाचार है जो शासन को खराब करता है तथा पक्षपात, शोषण और असमान प्रगति को बढ़ावा देता है जिसके कारण लोगों में निराशा, क्रोध और बेचैनी की भावनाएँ जन्म लेती हैं।” जैसा कि गुरुदेव ने अपने एक व्याख्यान में कहा था कि इन समस्याओं का समाधान सिर्फ शिक्षा ही है जो बहुभाषी, बहुवर्गीय, बहुसांस्कृतिक हो ताकि जब आप दूसरे लोगों के बारे में, दूसरे के विचारों के बारें में जान लेते हैं तो आपके मन में उनके लिए सम्मान की भावना उत्पन्न हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप संघर्षों में कमी आती है।”
सम्मेलन की शुरुआत हमारे आस-पास की दुनिया में स्थायी शांति कायम करने के लिए मन की शांति की शक्ति का महत्व रेखांकित करने के साथ हुई। शांति आंदोलनों की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया। विशेषज्ञों ने हिंसामुक्त विश्व की स्थापना के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के संबंध में अपने-अपने अनूठे विचार साझा किए। उन्होंने धार्मिक रुढिवादिता से लेकर मनुष्यों के शोषण तक के कारणों पर चर्चा की, साथ ही उन्होंने अपनी आपबीती कहानियाँ भी साझा की, कि किस प्रकार से हिंसा को देखकर उनके मन में उन समस्याओं का समाधान ढूंढने का विचार आया तथा किस प्रकार से उन्होंने उन तथ्यों को जाना, जिनके कारण लोगों के विवाद बिना किसी स्पष्ट एवं वास्तविक कारण के बढ़ते चले जाते हैं।
प्रतिनिधि मण्डल ने सम्मेलन में समस्याओं के कारणों पर गहन चर्चा की जिसमें एक दूसरे के विश्वासों के बारे में बातचीत, महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा, गुटबाजी को रोकने के लिए रणनीतियाँ, सुधार केंद्रों में लाकर लोगों को दोबारा अपराधी बनने से रोकना आदि विषयों पर विचार विमर्श किया गया।
यह पृष्ठ इन भाषाओं में उपलब्ध है: English