गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने कश्मीर संघर्ष के लिए सुलह की मेजबानी की | Gurudev Sri Sri Ravi Shankar hosts reconciliation meet for Kashmir conflict
शांति की पहल | Published: | 2 min read
श्री श्री ने कश्मीर को दिया पैगाम-ए-मोहब्बत का संदेश : इस कार्यक्रम में मारे गए आतंकवादियों के परिवार, क्रॉस फायरिंग से प्रभावित परिवार और पूरे भारत से सेना के शहीदों के परिवार के साथ उपस्थित थे। २०० प्रभावित परिवारों के प्रतिनिधि, जो सुदूर कश्मीर से यात्रा कर बैंगलुरू इस कार्यक्रम हेतु पहुँचे थे उनमें ६० महिलाएँ भी थी।
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श्री श्री ने कश्मीर को दिया पैगाम-ए-मोहब्बत का संदेश
- मारे गए आतंकियों, सेना कर्मियों और आम कश्मीरियों के परिवारों को एक मंच पर लाया गया।
- महिलाओं सहित २०० प्रभावित परिवार कार्यक्रम में शामिल हुए।
चलो कश्मीर को फिर से स्वर्ग बनाते हैं।
नवम्बर १०, २०१७
बैंगलुरू, भारत
गुरूदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने आर्ट ऑफ लिविंग के अंतरराष्ट्रीय केन्द्र, बेंगलुरु में कश्मीर में चल रहे संघर्ष के पीडितों के सम्मेलन का आगा़ज किया जिसमें पैगाम-ए-मोहब्बत के तहत कई तरह से भावनात्मक आदान-प्रदान किया गया।
इस कार्यक्रम में मारे गए आतंकवादियों के परिवार, क्रॉस फायरिंग से प्रभावित परिवार और पूरे भारत से सेना के शहीदों के परिवार के साथ उपस्थित थे। २०० प्रभावित परिवारों के प्रतिनिधि, जो सुदूर कश्मीर से यात्रा कर बैंगलुरू इस कार्यक्रम हेतु पहुँचे थे उनमें ६० महिलाएँ भी थी।
यह सचमुच में एक दिल को छू लेने वाला पल था कि परिजनों ने अपने अपने दर्द बयान किए और जिसने उनके परिजन छीन लिए उस आतंकवाद की संस्कृति को त्यागने की अभिव्यक्ति दी।
इस अवसर पर गुरूदेव ने कहा, ‘‘जब परिवार हिंसा के शिकार हों तब उन्हे क्षमा के भाव से आगे आना चाहिये और तभी एक अहिंसात्मक समाज का निर्माण हो सकता है। मुझे आशा ही नहीं विश्वास भी है कि इस नए रास्ते पर चलने के लिए कई युवा प्रेरित होंगे ।’’
उन्हौने आगे कहा कि, ‘‘जब तक हम उन चोंटो पर मरहम नहीं लगाएँगे तब तक यह हिंसा की कडी चलती ही रहेगी।’’
उन्होंने आशा जताई की, ‘‘प्रत्येक हदय में कहीं न कहीं करूणा है और हमें हिंसा और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के इस खेल को यही छोडना होगा तभी हम सफल हो सकते हैं।’’
दिलों का पिघलना तय था जब एक पूर्व आतंकवादी अब्दुल माजिद ने कहा कि, ‘‘युवाओं को अपनी बंदूकें फैंक कर शांति का मार्ग अपनाना चाहिये। हम यहाँ इसलिए आए हैं क्योंकि गुरूदेव बहुत ही बड़े व्यक्ति हैं और उन्हौने बहुत बडे़-बडे़ काम किये हैं। हमें आशा है कि हमें यहाँ हमारी समस्याओं का हल बातचीत से मिलेगा।’’
कार्यक्रम में गंदरबल के एजाज अहमद मीर ने कहा कि, ‘‘हम यहाँ बहुत सारी आशाएँ लेकर आए हैं और हमने यह उम्मीद भी नहीं की थी कि हम ऐसी जगह पर आ भी पाएँगे। हमने बहुत कुछ खोया है। हम यहाँ से देश से प्रेम और भाईचारे का संदेश फैलाना चाहते है।”
भिंडीपोरा के नसीर लोन ने कहा कि हमें कोई सुनता ही नहीं है और हमारे जैसे लोगों के लिए कुछ किया जाना चाहिये। इसलिए हम यहाँ आए हैं और गुरूदेव को भी हम यही कहना चाहते हैं।’’
एक अफसर की विधवा ने कहा कि, ‘‘हम किसी के भी विरोधी नहीं हैं। हमारा गुस्सा उन परिस्थितियों पर है जो कश्मीर को हिंसक बनाए हुए है। हमें आशा है कि गुरूदेव इसका हल निकालेंगे।’’
हम उन परिवारों के दर्द को भी महसूस करते हैं जो कश्मीर में ड्यूटी के दौरान मारे जा रहे हैं लेकिन हम भी उनके हाथों में पीड़ित हैं। हमें इसका अंत करना चाहिए। हम गुरुदेव की पहल की सराहना करते हैं ” यह मारे गए आतंकवादी के परिवार से कश्मीरी महिला ने शहीदों के परिवारों के साथ भावनात्मक क्षण साझा करते हुए कहा।
साथी महिला ने कहा कि, “हम महिलाओं का कोई राजनैतिक मकसद नहीं है इसलिए हम दिलों को जोड़ सकती हैं।”
फयाज अहमद जो बारामुला से हैं और हिंसा के मार्ग को गलत बताते हुए कहा कि “मैरे पिता को १९९९ में जलाया गया और मारा गया। हम चाहते हैं कि फिर से यह दोहराया नहीं जाय।”
एक पूर्व आतंकवादी गुलाम हुसैन कहते हैं, ‘‘दोनों ओर के लोग मारे जा रहे हैं चाहे वे सेना से हों या फिर दूसरी तरफ से। हम रातों को सो नहीं पाते हैं और दिन में भी बाहर नहीं जा सकते हैं। हम गुरूदेव के पास शांति और सहायता के लिए आए हैं।’’
वर्ष २००४ से कश्मीर में आर्ट ऑफ लिविंग कार्य कर रहा है और वहाँ के कार्यक्रम निर्देशक संजय कुमार ने इस अवसर पर कहा कि ’’ पिछले दशक में हमने कथित पाकिस्तानी लीडर्स, स्टोन प्लैटर्स, सूफी संत, बुद्धिजीवियों और समस्त हितग्राहियों से लगातार संपर्क रखा है। विवाद का निपटान और एक पुल की तरह कार्य करना हमने इस कश्मीर की घाटि में जारी रखा है।’’
इसके अलावा घाटी के कई प्रतिनिधियों ने गुरुदेव से मुलाकात की और घाटी में विश्वास और शांति के पुनर्निर्माण के लिए हस्तक्षेप की मांग की। इनमें मारे गए आतंकवादियों और शहीदों के परिवारों के सदस्य शामिल हैं। हिज़्बुल मुजाहिदीन के नेता बुरहान वाणी के पिता मुजफ्फर वाणी ने पिछले साल बंगलुरु के आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर में गुरुदेव से मुलाकात की थी।
विदित है कि आर्ट ऑफ लिविंग २००४ से कश्मीर में आतंक प्रभावितों को आघात नियंत्रण, बातचीत, जैलों में तनाव प्रबंधन, सेना में तनाव प्रबंधन और युवाओं को संस्कारित करने जैसे कार्यों को अमली जामा पहना रहा है।
गुरुदेव विरोधी पार्टियों को सुलह करने के लिए कोई अजनबी नहीं है। उन्होंने कोलम्बिया के विद्रोही समूह फार्क (FARC); के क्रांतिकारी सशस्त्र बल के नेताओं) को समझकर २०१५ में कोलंबिया में भूमिका निभाई जो बातचीत के लिए वैश्विक दबाव तक अहिंसा के गांधीवादी सिद्धांत अपनाने के लिए पहुंच रहे थे। उनके सुलह के प्रयासों का समापन न केवल विद्रोही समूह (जो पांच दशकों से छापामार युद्ध लड़ रहा था, जिसने २२०,००० से अधिक जाने ली है) के सरकार के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर में हुआ, लेकिन इसके साथ संघर्ष के पीड़ितों से माफी मांगने के लिए भी वे आगे आए।
इसी तरह, गुरुदेव ने कोसोवो के पूर्व यूगोस्लावियन एन्क्लेव में हस्तक्षेप किया, ताकि सुलह और शांति की बहाली की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जा सके और युद्ध पीड़ितों को अपने जीवन को पुनः प्राप्त करने में मदद मिल सके।
A positive initiative by @SriSri. I earnestly hope that this marks a beginning in the process of truth & reconciliation. https://t.co/ppTV8ypsCU
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 10, 2017
Such programmes are imperative to understand the agonising pain endured by the people of Jammu and Kashmir. The civil society in the rest of the country must do more to dismantle the walls of mutual distrust and suspicion that have isolated J&K .
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 10, 2017
A moving moment of reconciliation & forgiveness as 100 families of slain militants & 40 families of soldiers who sacrificed their lives, together, give a clarion call to the youth of Kashmir to walk the path of non-violence during the Paigam-e-Mohabbat event at @BangaloreAshram. pic.twitter.com/ld3APwnGll
— Gurudev Sri Sri Ravi Shankar (@SriSri) November 10, 2017
Courage is not required for spreading terrorism, courage is required to establish peace. Strength is required to progress in peace. – Gurudev @SriSri now | #SriSriHealingHearts
— Art of Living International Center (@BangaloreAshram) November 10, 2017
Gurudev @SriSri: There are many critics, and we should listen to them all. However, our dedication to bringing peace & humanity in the Valley should remain unshaken.#SriSriHealingHearts pic.twitter.com/wiueKFMybg
— The Art of Living (@ArtofLiving) November 10, 2017
भाषांतरित ट्वीट –
Mehbooba Mufti –
श्री श्री द्वारा यह सकारात्मक पहल। मुझे पूरी उम्मीद है कि यह सत्य और सामंजस्य की प्रक्रिया को शुरुआत हुई है।
इस तरह के कार्यक्रम जम्मू-कश्मीर के लोगों की पीड़ा को समझने के लिए जरूरी हैं। जिन्होंने जम्मू-कश्मीर को अलग-थलग कर दिया है वह आपसी अविश्वास और संदेह की दीवारों को खत्म करने के लिए, देश के बाकी हिस्सों में नागरिक समाज को और अधिक काम करना पड़ेगा।
@SriSri
बंगलौर आश्रम में पैगाम-ए-मोहब्बत कार्यक्रम के दौरान सुलह और माफी का भावपूर्ण क्षण जहाँ मारे गए उग्रवादियों के १०० परिवार और शहीद सैनिकों के ४० परिवार मंच पर एक साथ आये और कश्मीर के युवाओं को अहिंसा के मार्ग पर चलने का स्पष्ट आवाहन किया गया।
@BangaloreAshram
आतंकवाद फैलाने के लिए साहस की आवश्यकता नहीं है, शांति स्थापित करने के लिए साहस की आवश्यकता है। शांति में प्रगति के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है। – गुरुदेव श्री श्री #SriSriHealingHearts
@ArtOfLiving
कई आलोचक हैं, और हमें उन सभी को सुनना चाहिए। हालाँकि, घाटी में शांति और मानवता लाने के लिए हमारी निष्ठा अटल होनी चाहिए। – गुरुदेव श्री श्री #SriSriHealingHearts
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