गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने शांति के लिए ध्यान करने हेतु अफ्रीका में 1 मिलियन लोगों को प्रेरित किया | Gurudev Sri Sri Ravi Shankar inspires 1 million in Africa, to meditate for Peace
शांति की पहल | Published: | 2 min read

"आई मेडीटेट अफ्रीका" के तहत अफ्रीका के लिए पूरे महाद्वीप में महीने भर स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, जेलों, कारखानों, चर्चों, कॉरपोरेटों में सामूहिक शांति ध्यान/प्रार्थना का आयोजन किया गया जिसका अंत गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी द्वारा अफ्रीका दिवस पर निर्देशित शांति ध्यान से हुआ।
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२८ मई २०१८
“आई मेडीटेट अफ्रीका”, गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी द्वारा प्रेरित आर्ट ऑफ़ लिविंग फ़ाउंडेशन की एक ऐसी पहल है जो पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में शांति कायम करने के लिए ध्यान/शांत समय को बढ़ावा देती है।
अफ्रीका में हिंसा, संघर्ष और अपराध के कई ज्वलंत मुद्दे हैं। अफ्रीका जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उनसे निपटने के लिए ध्यान जो कि शांति निर्माण का एक भाग है, से होने वाले लाभों पर ज्यादा जोर दिया जा सकता है। ध्यान सभी परेशानियों का हल नहीं है और न ही गरीबी, भूख या बेरोजगारी जैसे मुद्दों का प्रत्यक्ष समाधान प्रदान कर सकता है, परंतु यह व्यक्ति को आधारभूत आंतरिक शक्ति और मन की स्थिरता देता है। आंतरिक शक्ति और मन की स्पष्टता से व्यवहारिकता, सकारात्मक दृष्टिकोण, निर्णय लेने और समस्या सुलझाने की क्षमता आती है, अत: शांति प्रयासों के लिए ध्यान एक उपयोगी उपकरण है। बाहरी सुरक्षा पाने के लिए अंदर से सुरक्षित एवं संरक्षित होना आवश्यक है।
“आई मेडीटेट अफ्रीका” के तहत अफ्रीका के लिए पूरे महाद्वीप में महीने भर स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, जेलों, कारखानों, चर्चों, कॉरपोरेटों में सामूहिक शांति ध्यान/प्रार्थना का आयोजन किया गया जिसका अंत गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी द्वारा अफ्रीका दिवस पर निर्देशित शांति ध्यान से हुआ। इस अभियान का एक भाग महाद्वीप के अध्येयताओं को अफ्रीकी संघ का राष्ट्रगान गाने के लिए प्रोत्साहित करना भी था जिससे कि अफ्रिकी देशों के बीच और ज्यादा अपनत्व की भावना पैदा की जा सके।
२०१७
२४ अफ्रीकी देशों के कई स्थानों से १ मिलियन लोगों ने मई २०१७ में “आई मेडिटेट अफ्रीका” कार्यक्रम में हिस्सा लिया। अन्य कई देशों के लोग भी गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी द्वारा लिए गए ऑनलाइन निर्देशित ध्यान में शामिल हुए।
“हमारा मस्तिष्क कंपन पर कार्य करता है। सामूहिक ध्यान एक सकारात्मक कंपन पैदा करता है, जो न केवल हम पर बल्कि हमारे आसपास के वातावरण पर भी प्रभाव डालता है। हालि किये गए शोध से पता चला हे की मस्तिष्क में मौजूद ग्रे मैटर पर ध्यान करने से प्रभाव पड़ता है। मानवी चेतना और समुदाय पर ध्यान का व्यापक रूप से क्या प्रभाव होता है, यह जानने हेतु बड़े पैमाने पर शोध कार्य किया गया है। ”- गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी
२०१६
मई २०१६ महीने के दौरान २३ अफ्रीकी देशों के ७५० ००० से अधिक लोगों ने शांति कायम करने के अभियान में योगदान दिया। कंपाला-युगांडा के लुजीरा जेल के कैदी अफ्रीका दिवस मनाने के लिए श्रीश्री रविशंकर के गाइडेड ऑन-लाइन पीस मेडीटेशन में शामिल हुए।
“जब हम किसी समूह में ध्यान करते हैं, तो हमारे मन की इच्छाएँ पूरी होती हैं। और जब ये इच्छा एक बेहतर और सुरक्षित धरती के लिए होती है, तो इतने सारे लोगों की सामूहिक मंशा और ऊर्जा का फलीभूत होना अवश्यंभावी होता है। लोगों के हृदय और मन के मिलन से शक्ति का निर्माण होना सुनिश्चित है।”- श्री श्री रविशंकर
२०१५
मई २०१५ के दौरान, पूरे अफ्रीका में ५०० ००० से अधिक लोगों ने अफ्रीका में शांति के लिए ध्यान किया। श्रीश्री रविशंकर ने २३ मई को अफ्रीका दिवस समारोह में महाद्वीप के लोगों, संसाधनों, जीव-जंतुओं और प्रकृति की खुशहाली के लिए २५ अफ्रीकी देशों को एकजुट करके एक वैश्विक ऑनलाइन शांति ध्यान का आयोजन कराया।
२०१४
मई २०१४अफ्रीका माह में २४ अफ्रीकी देशों के १०० ००० से अधिक लोगों ने अफ्रीकी महाद्वीप की शांति के लिए ध्यान किया। इस प्रयास में भाग लेने वाले कुल ७६ देशों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मिले समर्थन का स्वागत किया। महाद्वीप के समस्त शैक्षणिक संस्थानों ने इस शांति अभियान में सर्वाधिक योगदान दिया।
“अफ्रीका अपनी लय के लिए जाना जाता है। ध्यान, आत्मा और जीवन का लय है; धरती पर प्रसन्नता की लहर लाने का तरीका। शांति और समृद्धि के लिए अफ्रीका और संसारभर में हजारों लोगों ने ध्यान किया। शांतिपूर्ण और संघर्षमुक्त अफ्रीका बनाने की हमारी मंशा फलीभूत हो।”- श्री श्री रवि शंकर
२०१३
“२०१३ में अफ्रीका के एकीकरण की ५० वीं वर्षगांठ के अवसर पर अफ्रीका में शांति के लिए २३ अफ्रीकी देशों, ३० अफ्रीकी नगरों और ५४ अंतर्राष्ट्रीय देशों के लगभग १० ००० लोगों ने मानववादी एवं वैश्विक शांतिदूत श्रीश्री रविशंकर के साथ शांति ध्यान किया।
भाग लेने वाले देश थे: घाना, केन्या, मोजाम्बिक, कैमरून, सेनेगल, आइवरी कोस्ट, मलावी, युगांडा, तंजानिया, तुनीशिया, नाइजीरिया, बोत्सवाना, जिम्बाब्वे, रवांडा, नामीबिया, मॉरीशस, मोरक्को, डीआरसी, जाम्बिया, इथोपिया, टोगो, सुडान और दक्षिण अफ्रीका
“हर क्रिया एक बीज से शुरू होती है। यही हमारी मंशा है। हमने एक समृद्ध और शांतिपूर्ण अफ्रीका के लिए बीज बोया है। अब हमें इसे अपने कार्यों से पोषित करना है।” – श्रीश्री रविशंकर २५ मई, २०१३ को अफ्रीका में शांति ध्यान निर्देशित करने के पश्चात।
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