कोविड-१९ वार्ता - पर्यावरणविदों के विचार | Covid Conversations - Environment Thought Leaders

नेतृत्व और नैतिकता | Published: | 2 min read


कोविड-१९ वार्ता - पर्यावरणविदों के विचार | Covid Conversations - Environment Thought Leaders  

श्री श्री रवि शंकर जी ने पर्यावरणविदों के समूह को नीतिगत व्यापार के वैश्विक मंच पर (World Forum for Ethics in Business) सम्बोधित किया , एक संस्था जो १४ वर्षों से नीतिगत व्यापार, सुशासन और साझा मूल्यों को विश्वभर में प्रदर्शित करने में अगुआई कर रही है।

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श्री श्री रवि शंकर जी के द्वारा सम्बोधन : कोविड -१९ की समस्या किस प्रकार मानवता को प्रकृति के साथ साम्य स्थापित करने में मदद कर सकती है

हरित वापसी पर एक परिपक्व चर्चा

श्री श्री रवि शंकर जी ने पर्यावरणविदों के समूह को नीतिगत व्यापार के वैश्विक मंच पर (World Forum for Ethics in Business) सम्बोधित किया , एक संस्था जो १४ वर्षों से नीतिगत व्यापार, सुशासन और साझा मूल्यों को विश्वभर में प्रदर्शित करने में अगुआई कर रही है।

श्री श्री जी ने पर्यावरणविदों के साथ दो इ-वार्ताओं का आयोजन किया जिसे १४४ देशों से २० लाख से ज्यादा लोगों ने देखा :
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  • वंदना शिवा मिशन ग्रीन अर्थ 2020 से
  • फ्रांसीसी पर्यावरणविद् निकोलस हलोट
  • यूएनईपी (UNEP) के पूर्व प्रमुख एरिक सोल्हेम
  • अंतर्राष्ट्रीय शीर्ष वैज्ञानिक प्रोफेसर जोहन रॉकस्टॉर्म
  • राजनीतिक दिग्गज राजदूत जान एलियासनस्वीडन के सांसद और पर्यावरणविद् रेबेका ले मोइन

बारम्बार पृथ्वी माता ने हमें दिखाया है कि वे बहुत कम में ही पुनर्जीवन कर लेती हैं और सदैव हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं । हमें पर्यावरण के संरक्षण के प्रति मानवीय भाव रखने की आवश्यकता है । फ़्रांस के पूर्व पर्यावरण मंत्री @N_Hulot से चर्चा की ।


“हमें इस संकटकाल से परिवर्तित होकर बाहर आना है। ” – एरिक सोल्हेम

“पिछले 150 वर्षों से मानव विकास का पथ पर्यावरण की कीमत पर ही बढ़ा है । हम सबको सीखना होगा । संकट से पूर्व जैसी सख्त और असुरक्षित परिस्थिति में हम फिर से न जाये ।” – जोहन रॉकस्टॉर्म

“हम अपनी कमजोरी और साझा नियति से बुरी तरह रूबरू हुए हैं । मनुष्य स्वयं को प्रकृति से अलग नहीं कर सकता है ।” – निकोलस हलोट

“मनुष्य सदियों से प्रकृति के साथ साम्य स्थापित कर रह रहा था । साम्य को लोभ हटाता है । पृथ्वी पर सबकी आवश्यकता के लिए पर्याप्त है पर सबके लोभ के लिए नहीं। हमें इस अंदर के खेल पर ध्यान देना होगा । भीतर की शांति और लोच का विकास आवश्यक है क्योंकि व्यक्ति और समष्टि का कल्याण एक दूसरे से जुड़ा है ” – श्री श्री रवि शंकर जी

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