जल्लीकट्टू - आइए तमिलनाडु को सामान्य स्थिति पर ले आये | Jallikattu - Let us bring normalcy to Tamil Nadu

संस्कृति और समारोह | Published: | 1 min read


जल्लीकट्टू - आइए तमिलनाडु को सामान्य स्थिति पर ले आये | Jallikattu - Let us bring normalcy to Tamil Nadu  

जल्लिकट्टू उत्सव के लिए दोनों बैल और लोगों को अच्छी तरह से तैयार किया जाता है। जो लोग इन बैलों को पालते हैं उनके लिए वह पशु पवित्र है। बैल को परिवार का एक हिस्सा माना जाता है और पूजा की जाती है। इस उत्सव में न तो पशुओं के साथ कोई क्रूरता होती है और न ही लोगों को चोट पहुंचाना उसका ध्येय है।

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बेंगलूरू, भारत
19 जनवरी, २०१७

मैं तमिलनाडु के लोगों के साथ हूं। मैं उनकी भावनाओं को समझता हूँ और उन्हें पूरी तरह से समर्थन देता हूँ।

जल्लिकट्टू उत्सव के लिए दोनों बैल और लोगों को अच्छी तरह से तैयार किया जाता है। जो लोग इन बैलों को पालते हैं उनके लिए वह पशु पवित्र है। बैल को परिवार का एक हिस्सा माना जाता है और पूजा की जाती है। इस उत्सव में न तो पशुओं के साथ कोई क्रूरता होती है और न ही लोगों को चोट पहुंचाना उसका ध्येय है। यदि चोट लगे भी तो उसकी तुरंत मरहम पट्टी करने की उचित व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए। कुम्भ मेले में भी कई लोगों ने अपना जीवन खोया है, कई रेल दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। लोग सड़क दुर्घटनाओं में मर जाते हैं,तो क्या हम वाहनों पर प्रतिबंध लगाते हैं? यदि इस पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैंतो फिर उन घोड़ों का क्या जो घुड़सवारी के लिए पाले जाते हैं? उसे भी क्रूरता कहा जा सकता है। इस प्राचीन खेल पर प्रतिबंध लगाने के बजाय, ऐसे नियम बनाने चाहिए जिससे दुर्घटनाएं कम से कम हों और नकारात्मक तत्वों के द्वारा कम से कम शरारत हो। सुरक्षा के नियमों को लागू करने से दुर्घटनाएं कम करी जा सकती हैं।


भाषांतरित ट्वीट –
मैं जल्लीकट्टू का समर्थन करता हूं और अनुरोध करता हूं कि यह आंदोलन शांतिपूर्ण रहे। जब सुप्रीम कोर्ट में एक ताजा अपील सही तथ्यों के साथ की गई है तो हमें धैर्य रखना चाहिए।


यदि सही मायने में जानवरों के लिए अपना प्यार दिखाना चाहते हैं, तो पशुवध शालाओं को प्रतिबंधित करना चाहिए जिनके कारण हमारी स्वदेशी नस्ल खतरे में हैं। उड़ीसा में १५ स्थानीय नस्ल विलुप्त हो गयी हैं। तमिलनाडु इन देशी नस्लों को संरक्षित करने में कामयाब रहा है और जल्लीकट्टू एक बड़ा कारण है जिसकी वजह से वे ऐसा कर पाए हैं।

पूरी स्थिति पर हमें पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। अदालत में इन तथ्यों को ईमानदारी से पेश करने की जरूरत है। अदालत में फिर से लोगों को अपील करनी चाहिए और इस मामले को निष्पक्ष प्रकाश में दोबारा देखा जाना चाहिए।

हालांकि, मैं तामिलनाडू के लोगो से अपील करता हूं कि असामाजिक तत्व इस आंदोलन का फ़ायदा न उठायें और राज्य में हिंसा और अराजकता फैलाने की उन्हें अनुमति नहीं दे। न्याय के लिए इस आंदोलन से राजनीति और समाज विरोधी तत्व बाहर रहें। धैर्य रखें। कानूनको रातों-रात नहीं बदला जा सकता। युवाओं ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करके अपनी बात पहुँचा दी है। अब मैं उन्हें स्कूलों और कॉलेजों में वापस जाने की अपील करता हूँ।

दुर्भाग्य से लोगों को लगता है कि इसे सरकार द्वारा किया गया है। मैं युवाओं से अनुरोध करूंगा कि वे अपने साथी प्रदर्शनकारियों को समझाएं कि जो मामले अदालत में विचाराधीन हैं उनमें सरकार भी कुछ नहीं कर सकती। अदालत में एक अपीलदायर करी जाए। हमारे पास अभी भी एक वर्ष है। मुझे आशा है कि अगले वर्ष पोंगल तक जल्लीकट्टू वापस आ जाएगा।

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