प्रधानमंत्री मोदी का शपथ ग्रहण समारोह : कुछ विचार | Reflections on Prime Minister Modi’s Swearing in Ceremony

सार्वजनिक कार्यक्रमों में रस्में तथा शिष्टाचार विधियाँ आवश्यक रूप से सम्मिलित है। मनुष्य और समाज इनके बिना नहीं रह सकता। चाहे समारोह धार्मिक हो या धर्मनिरपेक्ष, शिष्टाचार विधियाँ मनुष्य समाज के लिए आवश्यक है। ऐसा कहा जाता है कि भारत में अभी भी औपनिवेशिक समय में चलाई गई शासकीय परंपराएं राजकीय कार्यक्रमों व समारोहों में अपनाई जाती है, निस्तेज हो चुकी इन शासकीय परम्पराओं को हटाने की आवश्यकता है। ऐसा ही एक कार्यक्रम था प्रधानमंत्री मोदी का शपथ ग्रहण समारोह।

नदियों का पुनर्जीवन, जीवन का पुनर्जीवन | Reviving Rivers, Reviving Life

फरवरी २०१३ में, आर्ट ऑफ लीविंग (जीवन जीने की कला) के स्वयंसेवकों के एक छोटे समूह ने बैंगलोर के बाहरी क्षेत्र में, चार दशकों से अधिक समय से सूखी, कुमुदवती नदी को पुनर्जीवित करने हेतु एक परियोजना पर...

पुनर्विचार का समय : भगवे की लहर तथा धर्मनिरपेक्षता का पतन | Time to Rethink : Saffron Surge and the Secular Debacle

“जो दिखाई देता है वह नहीं है और जो दिखाई नहीं देता वह है”, यह पुरानी कहावत है, जो कि भारतीय राजनीति का बहुत सही प्रतिपादन करती है। कांग्रेस के नेतृत्व में यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) स्वयं...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मेरी पहली मुलाकात | My First Meeting with Narendra Modi

नई सहस्त्राब्दी के आरंभ की आहट के साथ-साथ यह अफवाह सब तरफ फैलने लगी की दुनिया समाप्त होने वाली है और इस तबाही की पूर्व सूचना ने पश्चिमी देशों में गहरे आतंक की स्थिति बना दी। लोग घबराहट में पागलों...

मानवीय धारणाओं के बदलते रंग | Varying Hues Of Human Perception

मानव जाति में अनेक विभिन्नताएं हैं, इसी प्रकार उनकी संस्कृति तथा मान्यताओं में भी। वैसे तो धर्म किसी विशेष जाति तथा राष्ट्र में जन्म लेता है, परंतु आज इसने जाति तथा राष्ट्रीयता की यह दीवारें तोड़...